भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष के असीम विस्तार में मानव के एकमात्र ठिकाने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की मरम्मत के लिए गुरुवार को अनंत अंतरिक्ष में चहलकदमी की। यह सुनीता की अंतरिक्ष में पांचवीं चहलकदमी है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) द्वारा जारी किए गए बयान में बताया गया कि सुनीता ने जापानी अंतरिक्ष यात्री अकीहीको होशीहीदे के साथ भारतीय समयानुसार शाम 05.46 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के हैच को खोलकर अंतरिक्ष के असीम विस्तार में कदम रखा।
लाल रंग की धारियों वाला स्पेस सूट पहने सुनीता ने आईएसएस के नियंत्रित माहौल से बाहर अंतरिक्ष में कदम रखा और आईएसएस की सतह से सहारा लेते हुए धीरे-धीरे तैरकर अपने गंतव्य की ओर बढ गईं। होशीहीदे ने सफेद रंग का स्पेस सूट पहना हुआ था। यह पांचवीं बार है, जब सुनीता अंतरिक्ष में चहलकदमी कर रही हैं।
होशीहीदे पहली बार अंतरिक्ष में स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं। वे अंतरिक्ष में चहलकदमी करने वाले जापान के तीसरे अंतरिक्ष यात्री हैं। इस वर्ष आईएसएस पर तिरंगा फहराकर स्वतंत्रता दिवस मनाने वालीं सुनीता वर्ष 2006 में अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान के दौरान भगवत गीता की एक प्रति गणेशजी की प्रतिमा और कुछ समोसे भी साथ लेकर गईं थीं।
ये दोनों साढे छह घंटे तक चलने वाली इस चहलकदमी के दौरान आईएसएस की खराब हो चुकी एक विद्युत रिले इकाई को बदलने का काम करेंगे। इस दौरान ये दोनों अंतरिक्ष यात्री अगले वर्ष आईएसएस पर पहुंचने वाली रूसी अंतरिक्ष लैबोरेटरी के सुरक्षित आगमन के लिए विद्युत केबलों तथा रोबोटिक बांह के खराब हो चुके कैमरे को बदलने और आईएसएस से जुड़ने वाले बाहरी यानों के डौकिंग यार्ड को अंतरिक्ष रेडिएशन से बचाने के लिए थर्मल कवर चढ़ाने का भी काम करेंगे।
यह आईएसएस के 32वें मिशन के यात्रियों द्वारा अंजाम दी गई दूसरी अंतरिक्ष चहलकदमी है। इससे पहले आईएसएस कमांडर गेन्नादी पदाल्का और फ्लाइट इंजीनियर मालेंचेंको ने 20 अगस्त को लगभग छह घंटे चली अंतरिक्ष चहलकदमी को अंजाम दिया था। सुनीता इस मिशन में फ्लाइट इंजीनियर की हैसियत से तैनात हैं। उन्होंने मालेंचेंको और होशीहीदे के साथ 15 जुलाई 2012 को आईएसएस के लिए रूस के सोयूज अंतरिक्ष यान के जरिए उड़ान भरी थी।
सुनीता भारत की पहली अंतरिक्ष यात्री हैं, जिन्हें अंतरिक्ष में चहलकदमी करने का गौरव हासिल हुआ है। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा वर्ष 1984 में सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों यूरी मालीशेव और गेन्नादी स्त्रेकालोव के साथ अंतरिक्ष में गए थे। भारत की दूसरी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला 1996 में पहली बार अंतरिक्ष में गईं थीं।
वर्ष 2003 में उनकी दूसरी उड़ान के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण उनकी मौत हो गई थी और वह भी अंतरिक्ष में चहलकदमी करने का गौरव नहीं हासिल कर पाईं थीं। सुनीता ने 16 दिसंबर 2006 को पहली बार अंतरिक्ष में चहलकदमी की थी।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका के ओहायो प्रांत भारतीय चिकित्सक दीपक पंड्या के घर में वर्ष 1965 में जन्मीं सुनीता को किसी महिला द्वारा सबसे अधिक समय अंतरिक्ष में गुजारने का भी कीर्तिमान हासिल है, जो कि 195 दिनों का है। (वार्ता)