खगोल विज्ञानियों ने ब्रह्मांड की रचना से संबंधित सदियों पुरानी पहेली को सुलझाने का दावा करते हुए कहा कि उन्होंने उल्कापिंडों में छोटे-छोटे कणों (कोनड्रूलेज) के पाए जाने का कारण ढूंढ निकाला है। ये उल्कापिंड सौर मंडल की उत्पत्ति के समय बने थे।
कोनड्रूलेज उल्कापिंडों में पाए जाने वाले पिघले पदार्थ के बने गोलाकार कण होते हैं। इनकी उत्पत्ति का कारण लंबे समय से रहस्य बना रहा है। ये कण व्यास में लगभग एक मिलीमीटर होते हैं।
कोनड्रूलेज 1,000 डिग्री सेल्सियस से अधिक के तापमान पर पिघले थे, जबकि उनके आसपास पाए जाने वाले शीत पदार्थों ने केवल कुछ 100 डिग्री सेल्सियस के तापमान का अनुभव किया था।
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ता दल ने इस रहस्य को सुलझाने का दावा करते हुए कहा है कि कोनड्रूलेज वास्तव में अत्यधिक गर्मी में बने थे। विशेषकर तब जब उनके आसपास की उल्का संरचना ठंडी रही थी।
शोधकर्ता दल के प्रमुख रैक्वेल सल्मेरॉन ने कहा कि हमारा मानना है कि कोनड्रूलेज सौरमंडल के पहले ऐसे पदार्थ थे जो पिघलने के लिए नियत तापमान पर पहुंचे थे। वह भी तब जब प्रारंभिक नेब्यूला (निहारिका) ठंडी थी।
हमारी खोज में कोनड्रूलेज को एक जैसे आकार का पाया गया और ठंडे पदार्थ के साथ उनके मिलने एवं संगठित होने के बारे में भी बताया गया है। (भाषा)