ये मनोरंजन नहीं तो और क्या है?

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मध्यप्रदेश की आम जनता के साथ इससे बेहूदा मजाक और क्या हो सकता है कि इंदौर में होने जा रहे आईपीएल जैसे खेल-तमाशे को मनोरंजन कर में छूट दे दी जाए? क्या आईपीएल किसी बड़े शैक्षणिक उद्देश्य की पूर्ति करता है? क्या आईपीएल के माध्यम से कोई सामाजिक संदेश प्रसारित किया जाता है? क्या प्रदेश के ख़जाने में जरूरत से ज्यादा पैसा आ गया है जो हम एक करोड़ रुपए यों ही माफ कर दें?

सनद रहे कि कोच्चि की टीम सीके नायडू की नगरी में 13 मई को किंग्स इलेवन पंजाब से और 15 मई को राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मुकाबला खेलेगी।

शुद्धतः पैसे व मुनाफे की धूरी पर घूमने वाला आईपीएल का तमाशा विशुद्ध मनोरंजन है। अगर यह मनोरंजन नहीं है तो फिर मनोरंजन की परिभाषा ही बदल देनी चाहिए। आखिर मनोरंजन कर का औचित्य ही क्या है?

मध्यप्रदेश सरकार को माफ ही करना है तो बिजली दर में प्रस्तावित वृद्धि को माफ करे। हर साल गाइडलाइन दरों में की जाने वाली बेतहाशा बढ़ोतरी को माफ करे। अगर सरकार व्यापक जनहित का ध्यान नहीं रखेगी तब तो सरकार की अवधारणा ही चरमराने लगेगी।

ये कैसी विडंबना है कि एक तरफ तो गेहूँ की बंपर फसल के भंडारण और वितरण की व्यवस्था नहीं है। बारदान तक खरीदने के पैसे नहीं हैं और दूसरी तरफ आईपीएल के लिए मनोरंजन कर में छूट?

इस छूट का लाभ दर्शकों को तो मिल ही नहीं रहा! उन्हें 450 की टिकट 400 में नहीं मिलेगी। लाभ मिलेगा कोच्चि टीम के मालिकों को। ऐसे में प्रदेश सरकार के इस निर्णय का कड़ा विरोध होना ही चाहिए। जनता के हितों से खिलवाड़ का मौका किसी को भी नहीं दिया जाना चाहिए।

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