इंडियन प्रीमियर लीग में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर हुए दिल्ली डेयरडेविल्स और चेन्नई सुपर किंग्स के रोमांचक मुकाबले में चेन्नई ने दिल्ली को हराकर पिछले दिनों अपने ही घर में हुई पराजय का हिसाब चुकता कर डाला।
टॉस जीतकर क्षेत्ररक्षण करने का फैसला चेन्नई की टीम के कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी को शुरुआत में शायद महँगा लगा होगा, क्योंकि दिल्ली डेयरडेविल्स टीम के कप्तान वीरेन्द्र सहवाग और साथी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने अच्छी शुरुआत दी, लेकिन कप्तान सहवाग जल्द आउट हो गए।
इसके बाद एबी डिविलीयर्स को भी मोर्कल ने भी बिना कोई खाता खोले पैवेलियन की राह दिखा दी, लेकिन उनके बाद शिखर धवन ने गंभीर के साथ मिलकर टीम के लिए बड़ा योगदान दिया। जब गंभीर आउट हुए तब टीम का स्कोर 18 ओवर में 167 रन था। दिल्ली की टीम ने अपने 20 ओवर में 187 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया।
लेकिन इस मैच में धोनी ने कुछ बदलाव किए थ्ो और बदलाव का परिणाम उन्हे जीत के रूप में प्राप्त हुआ। इस मैच को जीतने का दबाव दोनों टीमों पर दबाव साफ नजर आ रहा था, लेकिन चेन्नई की टीम पर यह दबाव कुछ ज्यादा ही था।
लगातार तीन मैच हारने के बाद कप्तान धोनी के लिए इस मैच को जीतना जरूरी था, पिछले तीन मैचों में टीम के ऊपरीक्रम के बल्लेबाजों की लगातार असफलता ने धोनी को परिवर्तन के लिए मजबूर किया और यह परिवर्तन उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ।
धोनी ने टीम के लगातार असफल हो रहे ओपनर पार्थिव पटेल को इस मैच में बाहर बैठाते हुए एस विद्युत को सलामी बल्लेबाज के रूप में भेजा और कप्तान की तरफ से सौंपी गई जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। विद्युत के 23 गेंदों में बनाए गए 40 रनों ने टीम को एक अच्छी शुरुआत दी। उनके आउट होने के बाद धोनी खुद मैदान पर उतरे। उन्होंने स्टीफन फ्लेमिंग का बखूबी साथ निभाया।
जब विद्युत आउट हुए थे, तब चेन्नई का स्कोर 6 ओवर में 62 रन था। इसके बाद फ्लेमिंग ने आक्रामक खेल का प्रदर्शन किया और 28 गेंद पर 44 रन बना दिए और आउट हो गए। उनके बाद आए सुरैश रैना कुछ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए और एक रन बनाकर सांगवान की बाहर निकलती गेंद को मारने के प्रयास में गली में मनोज तिवारी को कैच थमा बैठे।
लगातार गिर रहे विकेटों ने धोनी की चिंता जरूर बढ़ा दी थी, लेकिन शांत दिमाग से खेलते हुए उन्होंने 33 गेंद पर 33 रन बनाए। उनका साथ दे रहे मोर्कल ने शानदार खेल दिखाते हुए वीरेन्द्र सहवाग को पहले ही ओवर में लगातार तीन छक्के लगाकर रन औसत को बढ़ाया लेकिन अगले ही ओवर में सहवाग के हाथों रन आउट हो गए।
18वें ओवर में टीम को दो लगातार झटके धोनी और कैप्युगेंद्रा के रूप में लगे और इससे मैच दिल्ली की झोली में जाता हुआ नजर आ रहा था। आखरी ओवर में चेन्नई टीम को जीतने के लिए 6 गेंदों में 16 रन की जरूरत थी।
शोएब मलिक की पहली बार पर गोनी के लगाए हुए गगनभेदी छक्के और फिर दूसरी गेंद पर लगाए हुए चौके ने मैच को रोमांच की चरम सीमा पर पहुँचा दिया था अंत में एक स्थिति ऐसी भी आई जब चेन्नई को जीतने के लिए एक गेंद पर एक रन की जरूरत थी और बद्रीनाथ ने मिडऑन पर गेंद को उछाल कर आसानी से यह रन बना लिया। इस तरह चेन्नई की टीम दिल्ली को उसी के घर में हराने में सफल रही।