मिशेल स्टार्क और पैट कमिंस मंगलवार को यहां इंडियन प्रीमियर लीग की खिलाड़ियों की नीलामी में 45 करोड़ 25 लाख रुपये में बिके और ऑस्ट्रेलिया के इन तेज गेंदबाजों को अपने साथ जोड़ने के लिए कोलकाता नाइट राइडर्स और सनराइजर्स हैदराबाद ने भारी-भरकम राशि खर्च की।
अब सवाल यह उठता है कि इन दोनों के लिए बोली लगाते हुए क्या हड़बड़ाहट दिखाई गई जैसा कि नीलामी के दौरान कई बार होता है या फिर अपनी पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में शामिल इन दो खिलाड़ियों को सतर्क रणनीति बनाकर अपने साथ जोड़ा गया।
सनराइजर्स के कमिंस के लिए 20 करोड़ 50 लाख और नाइट राइडर्स के स्टार्क के लिए 24 करोड़ 75 लाख रुपये खर्च करने के तर्क पर गौर करें तो इन दोनों तेज गेंदबाजों का हाल में एकदिवसीय विश्व कप के दौरान भारतीय परिस्थितियों में प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था लेकिन इन्हें अपने साथ जोड़ने का सिर्फ एक यही कारण नहीं है।
स्टार्क आईपीएल में पिछली बार 2015 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर की ओर से खेले थे और तब से वह विभिन्न कारणों से इस लुभावनी टी20 लीग में नहीं खेल पाए हैं।बाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज ने हालांकि जब नीलामी में हिस्सा लेने का फैसला किया तो वह नाइट राइडर्स की योजना पर पूरी तरह से फिट हुए जिसे एक आक्रामक तेज गेंदबाज की तलाश थी।
नाइट राइडर्स ने नीलामी से पहले टिम साउथी, उमेश यादव, लॉकी फर्ग्युसन और शारदुल ठाकुर जैसे तेज गेंदबाजों को रिलीज किया था और ऐसे में एक मुख्य तेज गेंदबाज को टीम में शामिल करना उनके लिए अनिवार्य था।नाइट राइडर्स को तीन विदेशी सहित कुल 12 खिलाड़ियों को अपने साथ जोड़ना था और उसके पास 32 करोड़ 70 लाख रुपये थे जिससे फ्रेंचाइजी ने स्टार्क को खरीदने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी।
सीमित ओवरों के प्रारूप में निरंतरता की कमी के बावजूद सनराइजर्स ने कमिंस पर दांव खेला है। टीम को उमरान मलिक, टी नटराजन और भुवनेश्वर कुमार की तेज गेंदबाजी तिकड़ी के साथ एक अच्छे विदेशी तेज गेंदबाज की जरूरत थी और 34 करोड़ रुपये के साथ नीलामी में उतरने के कारण टीम बड़ी बोली लगाने की स्थिति में थी।सनराइजर्स प्रबंधन ने संभवत: कमिंस की नेतृत्व क्षमता पर भी गौर किया होगा।अब देखना यह होगा कि क्या ये दोनों गेंदबाज अपनी टीमों की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे।(भाषा)