फेसबुक झूठी खबरों के 'बग' को कैसे दूर करेगा?

सोमवार, 1 मई 2017 (14:12 IST)
फेसबुक के संस्थापक को फेसबुक की बढ़ती लोकप्रियता, बढ़ते उपयोगकर्ता और इसकी सेवाओं को लेकर एक उपलब्धि का अहसास हो सकता है, लेकिन साल 2016 में कुछ ऐसा हुआ जिससे कि फेसबुक पोस्ट द्वारा लोगों का प्रभावित होना उसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन गया। फेसबुक पर जो पोस्ट लिखी जाती हैं, जो आकंड़े दिए जाते हैं, जो तथ्य प्रस्तुत किए जाते हैं, उससे कुछ लोग प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन इससे फेसबुक भी विश्वसनीयता पर भी प्रभाव पड़ता है। 
 
अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव के दौरान कई तरह के सोशल मीडिया कैंपेन चलाए गए। कुछ लोगों के ने रुपए लेकर झूठी खबरों का भी फेसबुक के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया। ऐसी खबरें और आलेख वायरल हो गई। 'फेक न्यूज़' ऐसे कैंपेन का एक हिस्सा थीं।  एक तरफ फेसबुक झूठी खबरों को प्रचारित करने का माध्यम बना तो दूसरी ओर मीडिया ने भी ऐसी खबरों का आधा ही सच दिखाया। आज के दौर में सूचना का तेज़ी से प्रचार प्रेसार होता है, लेकिन इस तेज़ी में खबरों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगता है।
 
अमेरिकी राष्ट्रपति कैंपेन के दौरान लोगों द्वारा शेयर की गई 1.25 मिलियन खबरों पर एमआईटी और हावर्ड के शोधर्ताओं की टीम ने अध्ययन किया और पाया  कि 2016 में फेसबुक और ट्विटर मीडिया के रूप में असफल रहे हैं। सोशल मीडिया ने लोगों की आवाज, के लिए एक सही माध्यम स्थापित किया। सोशल मीडिया ने मीडिया नेटवर्क को एक विशिष्ट और पृथक मीडिया सिस्टम के रूप में विकसित किया। लोगों ने फसबुक पर शेयर की गई खबरों को विश्वसनीय माना चाहे उनमें तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा ही क्यों न हो। 
 
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के एक सप्ताह के बाद बराक ओबामा ने कहा भी था कि यह एक ऐसा दौर है जहां कई झूठी खबरें आ रही हैं और उन्हें बहुत अच्छे से पैकेज किया जा रहा है। अगर आप फेसबुक पेज देखें या टीवी, दोनों जगह हालात एक जैसे हैं।  चुनाव के बाद मार्क जुकरबर्ग ने फेसबुक की भूमिका पर बचाव करते हुए कहा था कि उन्हें गर्व है कि फेसबुक लोगों को प्रभावित कर पाया। जववरी माह में जुकरबर्ग ने कहा था कि फेसबुक पर लगत सूचनाएं इतनी बड़ी समस्या नहीं है जितनी कि कुछ लोग इसे बता रहे हैं, लेकिन फेसबुक फिर भी इसे दूर करने के लिए काम करेगा।  
 
बहरहाल, यह बात सिर्फ अमेरिका चुनावों तक ही सीमित नहीं है बल्कि दुनिया में सभी जगह लोग सोशल मीडिया पर शेयर की गई स्टोरी से प्रभावित हो रहे हैं और उनके विचार भी बदल रहे हैं। आए दिन हम मीडिया में वायरल होती खबर्रों का सच देखते हैं, लेकिन सभी खबरों की सचाई इस तरह जानना भी मुश्किल है। फेसबुक या दूसरे किसी सोशल मीडिया पर चल रही सभी खबरें सच नहीं होती। तथ्यों की कमी, गलत सूचनाए जैसे 'बग' से फेसबुक कैसे निपटेगा यह देखना दिलचस्प होगा।

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