क्या है नेट न्यूट्रिलिटी?
आपके पास मोबाइल है और आपने इसमें इंटरनेट कनेक्शन भी ले रखा होगा। अब तक इसके लिए आप टेलिकॉम कंपनी को पैसे देते हैं, पैसे देने के बाद आप व्हाट्सएप, फेसबुक, क्विकर, स्नैपडील, गूगल, यू ट्यूब जैसी ढेरों इंटरनेट सेवाएं इस्तेमाल कर पाते हैं। हर सेवा की स्पीड एक जैसी होती है और हर सेवा के अलग से पैसे नहीं देने पड़ते।
यानी इंटरनेट की आजादी, एक बार इंटरनेट ले लिया तो हर सेवा को एक जैसा दर्जा। लेकिन अब कुछ टेलिकॉम कंपनियां इंटरनेट की आजादी को नए तरह से पेश करना चाहती हैं जिसमें कुछ सेवाएं मुफ्त हो सकती हैं तो कुछ के लिए अलग से पैसे भी देने पड़ सकते हैं। इतना ही नहीं कुछ सेवाओं के लिए ज्यादा स्पीड तो कुछ के लिए कम स्पीड का अधिकार भी कंपनियां अपने पास रखना चाहती हैं।
भारत में पिछले 1 दिन से नेट न्यूट्रिलिटी को लेकर लोगों द्वारा खूब विरोध किया जा रहा है। साथ ही एआईबी वालों ने भी इसके खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने इस संबंध में एक वीडियो भी इंटरनेट पर डाला है। एक अंगरेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक इस संबंध में अब तक ट्राई को 27 हजार मेल भेजे जा चुके हैं। लोगों का मानना है कि यह निजी कंपनियों की मनमानी है।