अदालत ने कहा : हम इस पर गौर नहीं करने जा रहे हैं कि यह किसी राजनेता का मामला है या नहीं। इसमें शामिल प्रत्येक व्यक्ति विशेष के पास कुछ विशेष या असाधारण मामले या परिस्थितियां हैं। हम केवल इस बात पर विचार कर रहे हैं कि चुनाव के मद्देनजर क्या यह अपवाद वाला मामला है या क्या इसमें शामिल व्यक्ति किसी असाधारण परिस्थिति में है...बस इतना ही।
ईडी वकील : मेहता ने कहा कि मौजूदा चुनावों के आधार पर केजरीवाल को जमानत देने से एक गलत मिसाल कायम होगी और अन्य लोग भी इसी तरह की छूट का अनुरोध करेंगे। अदालत केवल एक व्यक्ति के लिए अपरिहार्य स्थिति का जिक्र कर रही है। अगर कल कोई किराना दुकान का मालिक या कृषक आता है और किसी मामले में राहत चाहता है, तो सरकारी वकील किसी मामले पर बहस नहीं कर पाएगा। मैं जानता हूं कि ये दलीलें कठोर हैं।
ईडी वकील : इस समय देश भर में सांसदों से जुड़े लगभग 5000 मामले लंबित हैं। क्या उन सभी को जमानत पर रिहा किया जाएगा? क्या एक कृषक कम महत्वपूर्ण है, जिसके लिए कटाई बुआई का मौसम होता है। मेहता ने कहा कि अगर केजरीवाल ने जांच में सहयोग किया होता और 9 समन को नजरअंदाज नहीं किया होता, तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाता।
सुप्रीम कोर्ट : पीठ ने कहा कि केजरीवाल आदतन अपराधी नहीं हैं। वह दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और निर्वाचित नेता हैं। चुनाव हो रहे हैं। यह असाधारण स्थिति है। आम तौर पर, लोकसभा चुनाव हर पांच साल में होते हैं। पीठ ने दलीलें सुनने और राजू द्वारा दिए गए नोट पर गौर करने के बाद पूछा कि ईडी ने मामले की जांच में इतना समय क्यों लिया? आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं। (एजेंसी/वेबदुनिया)