1 दिसंबर से Airtel-Vodafone idea के ग्राहकों को लग सकता है बड़ा झटका, बढ़ सकते हैं दाम

मंगलवार, 19 नवंबर 2019 (09:08 IST)
नई दिल्ली। एयरटेल (Airtel) और वोडाफोन-आइडिया (vodafone idea) के ग्राहकों को 1 दिसंबर से बड़ा झटका लग सकता है। वित्तीय संकट से जूझ रहीं दूरसंचार कंपनियों ने 1 दिसंबर से अपनी मोबाइल सेवा की दरें बढ़ाने का फैसला किया है।
 
वोडाफोन-आइडिया (Vodafone idea) ने अपने बयान में कहा कि अपने ग्राहकों को विश्वस्तरीय डिजिटल अनुभव सुनिश्चित करने के लिए कंपनी 1 दिसंबर 2019 से अपने टैरिफ के दाम बढ़ाएगी। हालांकि कंपनी ने फिलहाल टैरिफ में कितनी वृद्धि होगी, इसकी जानकारी नहीं दी है।
 
वोडाफोन आइडिया (Vodafone idea) को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 50,922 करोड़ रुपए का एकीकृत घाटा हुआ है। किसी भारतीय कंपनी का एक तिमाही में यह अब तक का सबसे बड़ा घाटा है। दूरसंचार क्षेत्र की एक अन्य दिग्गज कंपनी एयरटेल (Airtel) अपने कारोबार को व्यावहारिक बनाने के लिए दिसंबर से अपनी मोबाइल सेवाओं की दरें बढ़ाएगी।
 
एयरटेल (Airtel) ने अपने बयान में कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी के साथ काफी पूंजी की आवश्यकता होती है। इसमें लगातार निवेश की जरूरत होती है। इस कारण यह बहुत जरूरी है कि डिजिटल इंडिया के विचार का समर्थन करने के लिए उद्योग को व्यावहारिक बनाए रखा जाए। इसे देखते हुए एयरटेल दिसंबर महीने में उचित दाम बढ़ाएगी।
 
भारती एयरटेल ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 23,045 करोड़ रुपए का घाटा दर्ज किया है। कंपनी ने यह भी कहा कि वह मानती है कि दूरसंचार नियामक ट्राई भारतीय मोबाइल क्षेत्र में मूल्य निर्धारण में तर्कसंगत व्यवहार लाने के लिए सलाह-मशविरा की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। समायोजित सकल राजस्व (AGR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर बकाए के भुगतान के लिए जरूरी प्रावधान किए जाने की वजह से उसे यह नुकसान हुआ।
 
न्यायालय ने सरकार के पक्ष में फैसला देते हुए वोडाफोन आइडिया समेत अन्य दूरसंचार कंपनियों को बकाए का भुगतान दूरसंचार विभाग को करने का निर्देश दिया है।
 
वोडाफोन-आइडिया ने कहा कि अब कारोबार जारी रखने की उसकी क्षमता सरकारी राहत और कानूनी विकल्पों के सकारात्मक नतीजों पर निर्भर करेगी। बयान में कहा गया है कि दूरसंचार क्षेत्र में गंभीर वित्तीय संकट को सभी हितधारकों ने माना है और कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति उचित राहत देने पर विचार कर रही है।

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