नेश्नल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनी (नैसकॉम) के हाल ही में हुए सम्मेलन में आईटी स्तर के कर्मचारियों के गिरते स्तर पर चिंता प्रकट की गई।
नैसकॉम के अध्यक्ष किरन कर्णिक ने बताया कि हमारी शिक्षा प्रणाली की अपरिपक्वता का छात्रों की कुशलता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। कर्णिक ने बताया कि हम छात्रों की शैक्षिक व्यवस्था को लेकर काफी चिंतित हैं। हमें इनके भविष्य में आने वाली परेशानियाँ साफ-साफ नजर आ रही हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि हमारे देश में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने की सख्त आवश्यकता है। वर्तमान में इस क्षेत्र में करीब 1.6 लाख लोग इस सेवा से जुड़े हुए हैं। इतना ही नहीं, 6 से 7 लाख युवा इस क्षेत्र के व्यापक भविष्य से जुड़े हुए हैं।
सरीन ने कहा कि उन्हें भरोसा था कि इस सौदे को नियामक मंजूरी मिल जाएगी, लेकिन वह यह भी जानते थे कि उनके कुछ प्रतिद्वंद्वी नौकरशाहों के माध्यम से इस सौदे को हर हाल में ध्वस्त करने की कोशिशें कर रहे थे।
सरीन ने कहा कि होड़ में पिछड़ गए अरबपतियों का क्लब इस सौदे को पटरी से उतारने की कोशिशें कर रहा था। चिंताजनक बात यह है कि पूरी प्रकिया के दौरान कहीं भी पारदर्शिता नहीं थी।
भारत के नियामक परिवेश की आलोचना के बावजूद सरीन ने कहा कि उन्हें भरोसा था कि भारत में इस समय जो आर्थिक एवं राजनीतिक शक्तियाँ हैं वे इस सौदे को मंजूरी दे देंगी।
सरीन ने कहा कि इस सौदे में हाथ डालने से पहले वे कई बार सरकारी अधिकारियों से मिले थे, ताकि यह आश्वासन मिल सके कि वोडाफोन के इस सौदे से किसी को आपत्ति नहीं होगी।