जैन धर्म के अनुसार पर्युषण कषाय शमन का पर्व है। अगर किसी भी मनुष्य के अंदर ताप, द्वेष के भाव पैदा हो जाते हैं तो पर्युषण उस भाव को शांत करने का पर्व है। धर्म के 10 द्वार बताए हैं उसमें पहला द्वार है- क्षमा, मतलब समता। समता/ क्षमा जीवन के लिए बहुत जरूरी है। जब तक कोई भी व्यक्ति जीवन में क्षमा नहीं अपनाता, तब तक वह अध्यात्म के पथ पर नहीं बढ़ सकता।