अब एक बार फिर उमर अब्दुल्ला को उस गंदरबल विधानसभा क्षेत्र से नेशनल कांफ्रेंस पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है जहां से तीन बार उनके अब्बाजान डॉ फारूक अब्दुल्ला और एक बार दादा स्व शेख मुहम्मद अब्दुल्ला चुनाव जीत चुके हैं। वे जिस गंदरबल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने जा रहे हैं वहां से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारूक अब्दुल्ला तीन बार (वर्ष 1987, वर्ष 1983 तथा वर्ष 1996 में) चुनाव जीत चुके हैं तथा उनके दादा स्व शेख मुहम्मद अब्दुल्ला ने भी वर्ष 1977 में इसी विधानसभा सीट से विजय पाई थी।
वर्ष 2002 के विधानसभा चुनावों में यहां उमर अब्दुल्ला को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। उनकी हार के प्रति यह चौंकाने वाला तथ्य था कि वे उस गंदरबल सीट से चुनाव हारे थे जिसे नेशनल कांफ्रेंस और अब्दुल्ला परिवार का पारंपारिक विधानसभा क्षेत्र और गढ़ कहा जाता रहा था। तब उमर अब्दुल्ला को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के काजी मुहम्मद अफजल ने मात्र दो हजार वोटों के अंतर से हरा दिया था।
एक बार फिर उमर अब्दुल्ला उस मिथ्य को बरकरार रखने की कोशिशों में जुट गए हैं जिसमें कहा जाता है कि गंदरबल उनकी खानदानी सीट है। वे चाहते हैं कि इस बार गंदरबल उनके साथ गदर न करे। इसके लिए उन्होंने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद से ही इंतजाम करने आरंभ किए थे। विकास कार्यों में गंदरबल को काफी अहमियत दी गई थी। अर्थात पिछले कई सालों की विकास की फसल को वे अब काटने की तैयारी में हैं। इतना जरूर था कि वे गंदरबल के वोटरों द्वारा गदी किए जाने के डर के चलते बडगाम से भी चुनाव मैदान में उतर रहे हैं।