ट्रंप टैरिफ की चिंता से क्यों लाल हुआ कश्‍मीरी सेब?

सुरेश एस डुग्गर

बुधवार, 12 मार्च 2025 (14:42 IST)
Kashmiri apple : जम्मू कश्मीर के सेब उत्पादकों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वाशिंगटन सेब पर टैरिफ कम करने की हाल की घोषणा पर चिंता जताई। उन्हें डर है कि इससे भारत के घरेलू फल उद्योग पर गंभीर असर पड़ेगा।
 
कश्मीर घाटी फल उत्पादक सह डीलर संघ ने औपचारिक रूप से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस कदम को रोकने के लिए उनके हस्तक्षेप का आग्रह किया है। उनका तर्क है कि इससे भारतीय बाजार सस्ते आयातित सेबों से भर जाएंगे और स्थानीय उत्पादकों को संकट में डाल देंगे। 
 
2 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होने वाले टैरिफ में कमी से अमेरिका से आयात बढ़ने की उम्मीद है। इससे जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के सेब किसानों के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाएगा।
 
सोपोर, शोपियां, पुलवामा और अनंतनाग जैसे प्रमुख सेब उत्पादक क्षेत्रों के उत्पादकों का प्रतिनिधित्व करने वाले संघ ने चेतावनी दी है कि छोटे और सीमांत किसान सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, जिससे पूरे क्षेत्र में वित्तीय संकट पैदा होगा।
 
जम्मू कश्मीर का बागवानी उद्योग, जो क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ के रूप में कार्य करता है, सात लाख से अधिक परिवारों का भरण-पोषण करता है। उत्पादकों का तर्क है कि वाशिंगटन सेब, जो पहले से ही भारतीय बाजारों में उपलब्ध है, कम आयात शुल्क के साथ और भी सस्ता हो जाएगा। इससे स्थानीय सेब की कीमतें कम हो जाएंगी और घरेलू किसानों का मुनाफा कम हो जाएगा।
 
कश्मीर घाटी फल उत्पादक सह डीलर संघ के अध्यक्ष बशीर अहमद बशीर ने पत्रकारों को बताया कि अगर वाशिंगटन सेब कम टैरिफ पर भारतीय बाजारों में प्रवेश करता है, तो यह हमारे स्थानीय उत्पादकों के लिए एक बड़ा झटका होगा। वे कहते थे कि कि हम पहले से ही गिरती कीमतों और मौसम संबंधी आपदाओं के कारण भारी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह निर्णय हजारों किसानों को वित्तीय बर्बादी की ओर धकेल देगा।
 
बशीर का यह भी कहना था कि उन्होंने पीएम मोदी को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है जिसमें उनसे तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की गई है, जिसमें वाशिंगटन सेब पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने का आग्रह किया गया है ताकि कश्मीर में सेब के व्यापार से जुड़े सात लाख लोगों की आजीविका बच सके।
 
 
यह सच है कि कश्मीरी सेब उत्पादक पिछले एक दशक से कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं, जिनमें राजनीतिक उथल-पुथल, चरम मौसम की घटनाएं और परिवहन संबंधी मुद्दे शामिल हैं। 2014 की विनाशकारी बाढ़, उसके बाद ओलावृष्टि और तेज हवाओं ने पहले ही बागों को काफी नुकसान पहुंचाया है।
 
 
यही नहीं पिछले दो सालों से लगातार सूखे की मार सेब उद्योग पर भी पड़ी है, जबकि इस साल मार्च में हुई बारिश ने इस सीजन में बंपर फसल की उम्मीद जगाई है। उत्पादकों का तर्क है कि ट्रंप के टैरिफ के फैसले से उन्हें आर्थिक अनिश्चितता में धकेला जाएगा। 
बशीर कहते थे कि हम व्यापार के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह हमारे अस्तित्व की कीमत पर नहीं आना चाहिए।
 
अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती है, तो हम विरोध करने और अपनी चिंताओं को सड़कों पर ले जाने के लिए मजबूर होंगे। अपनी अपील में, फल उत्पादकों ने केंद्र सरकार से टैरिफ कटौती पर बातचीत को खारिज करने और इसके बजाय घरेलू सेब उद्योग की रक्षा के लिए वाशिंगटन सेब पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने का आग्रह किया है।
 
बशीर ने चेतावनी दी कि सरकार को बहुत देर होने से पहले कार्रवाई करनी चाहिए। अगर टैरिफ में कटौती की जाती है, तो यह हमारे स्थानीय सेब उद्योग को पंगु बना देगा, जिससे हजारों परिवार गहरे वित्तीय संकट में फंस जाएंगे।
 फल उत्पादक अब प्रधानमंत्री कार्यालय से प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं, उम्मीद है कि वैश्विक व्यापार में अनुचित प्रतिस्पर्धा से भारत के सेब किसानों की सुरक्षा के लिए तत्काल उपाय किए जाएंगे।
edited by : Nrapendra Gupta 

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