अब ड्रोन निगरानी के जरिए नजर रखी जाती है : वे कहते थे कि सेना के काफिले की गतिविधियों पर अब ड्रोन निगरानी के जरिए नजर रखी जाती है और सुरक्षा बढ़ाने के लिए कर्मियों को बुलेटप्रूफ बंकरों में ले जाया जा रहा है। यही नहीं, आधुनिक सुरक्षा प्रथाओं के अनुरूप रोड ओपनिंग पार्टियों (आरओपी) को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है और संभावित हमलों को रोकने के लिए नए एसओपी बनाए गए हैं।
आतंकवादी नेटवर्क को काफी हद तक कमजोर करने में सक्षम हुए : उनका कहना था कि कानून और व्यवस्था की घटनाओं को सुरक्षा बलों द्वारा प्रभावी रूप से नियंत्रित किया गया है, जो एक सकारात्मक बदलाव है। उन्होंने आतंकवादी समूहों के खिलाफ सफल आतंकवाद विरोधी अभियानों पर भी प्रकाश डाला। वे कहते थे कि हम हाल के वर्षों में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी समूहों के शीर्ष नेतृत्व को खत्म करके आतंकवादी नेटवर्क को काफी हद तक कमजोर करने में सक्षम रहे हैं।
केरिपुब अधिकारी कहते थे कि हालांकि आतंकवादी अपने प्रयास जारी रखते हैं, लेकिन उनके शीर्ष कमांडरों के निष्प्रभावी होने से भर्ती प्रयासों में काफी कमी आई है। इस बीच केरिपुब का दावा था कि पुलवामा हमले के बाद कश्मीर में इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोटों में कमी देखी गई है। इन 6 वर्षों में उन्होंने 26 आईईडी का पता लगाया है जिन्हें राजमार्गों (सड़कों), वाहनों, स्कूलों और पुलों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर रखा गया था।