नेहरुजी की चिट्‍ठी बच्चों के नाम

ND

प्यारे बच्चों,
मुझे अपने जीवन का सबसे अच्छा समय बचपन ही लगता है। और अब बड़े होने के बाद नन्हों के साथ बात करना, खेलना मुझे पसंद है क्योंकि उस समय मैं मुझे बस याद रहता है अपना बचपन।

कई बार लगता है कि उम्र का फासला बच्चों और मेरे बीच कभी न आए क्योंकि बड़े लोगों के बारे में यही माना जाता है कि वे हमेशा अपने से छोटों को डांटते या कुछ सिखाते ही रहते हैं और बच्चों के नजरिये को कभी भी समझने की कोशिश नहीं करते हैं। बच्चों मैं आपसे मन की कुछ बात बाँटना चाहता हूँ और बताना चाहता हूँ कि यह विश्व कितना खूबसूरत है।
यह विश्व कितना खूबसूरत है। अपनी आँखें खोलो और देखों की तुम्हारे आस पास ईश्वर ने कितनी जीवंत खूबसूरती बिखेरी है, फूलों को उनके नामों और खूशबू से जानों, चिड़ियों की चहचहाट सुनों, इन सभी को अपने दोस्त बनाओं।


अपनी आँखें खोलो और देखों की तुम्हारे आस पास ईश्वर ने कितनी जीवंत खूबसूरती बिखेरी है, फूलों को उनके नामों और खूशबू से जानों, चिड़ियों की चहचहाट सुनों, इन सभी को अपने दोस्त बनाओं। इस सुंदरता को धर्म, जाति, भाषा, गरीबी, अमीरी आदि में बाँट दिया जाता है।

कुछ महीनों पहले जापान के बच्चों का एक खत मेरे पास आया जिसमें उन्होंने मुझसे एक हाथी मांगा था और मैंने आप सभी यानि भारतीय बच्चों की ओर से यह तोहफा उन्हें भेज दिया और आपके दोस्तों में वे भी शामिल गए हैं। बच्चों इसी तरह से अपने दोस्त बनाते रहिए। मैं आप सभी से और भी कई बातें करना चाहता हूँ पर आज यही पर समाप्त करता हूँ।

- जवाहरलाल नेहरु, 3 दिसंबर 1949