'कल नहीं आज'

प्यारे बच्चों,
फरवरी माह लगते ही बच्चों के मन में परीक्षा का डर बैठने लगता है। बच्चों को लगता है कि बाप रे ! अब कैसे क्या याद करेंगे, इतना ज्यादा कोर्स बचा हुआ है। अभी तक तो कुछ ठीक से याद भी नहीं किया। पूरा समय खेलने में जो गुजार दिया, अब क्या करें।

लेकिन बच्चों उसमें घबराने या डरने की कोई बात नहीं है। जो काम आप 'आज नहीं कल करेंगे' कहकर टालते रहे हो उसे आज से ही शुरू करो। हर विषय के रिवीजन का अपना एक टाइम निश्चित कर लो, एक टाइम टेबल बना लो।

खुद ना बना सको तो अपनी मम्मी-पापा या बड़े भाई-बहन की मदद से बनाकर अपनी पढ़ाई को सही दिशा दो। और तुम्हारे द्वारा परीक्षा आने तक की गई सारी मेहनत रंग लाएगी और तुम निश्चित रूप से पराीक्षा का डर भूलकर अव्वल नंबर से उत्तीर्ण होंगे। तो फिर देर किस बात की, आज ही से जुट जाओ रिवीजन में.... !

तुम्हारी दीदी
सीमा

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