बाल साहित्य : जंगल की बात

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

शुक्रवार, 12 सितम्बर 2014 (10:40 IST)
जंगल के सारे पेड़ों ने,
डोंडी ऐसी पिटवा दी है। 
छेवले की बेटी पत्तल की,
कल दोनेजी से शादी है। 
 

 
पहले तो दोनों प्रणय युगल,
बट के नीचे फेरे लेंगे। 
संपूर्ण व्यवस्था भोजन की,
पीपलजी ने करवा दी है। 
 
जंगल के सारे वृक्ष-लता,
फल-फूल सभी आमंत्रित हैं। 
खाने-पीने हंसने-गाने,
की पूर्ण यहां आजादी है। 
 
रीमिक्स सांग के साथ यहां,
सब बाल डांस कर सकते हैं। 
टेसू का रंग महुए का रस,
पीने की छूट करा दी है। 
 
यह आमंत्रण में साफ लिखा,
परिवार सहित सब आएंगे। 
उल्लंघन दंडनीय होगा,
यह बात साफ बतला दी है। 
 
वन प्रांतर का पौधा-पौधा,
अपनी रक्षा का प्रण लेगा। 
इंसानों के जंगल प्रवेश,
पर पाबंदी लगवा दी है। 
 
यदि आदेशों के पालन में,
इंसानों ने मनमानी की। 
फतवा जारी होगा उन पर‌,
यह‌ बात‌ साफ जतला दी है। 

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