नटखट कविता : बिल से निकली चुहिया रानी

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बिल से निकली चुहिया रानी,

लगी चाल चलने मस्तानी।

बोली मैं हूँ घर की मुखिया,

दुनिया है मेरी दीवानी।

मेरी मर्जी से ही मिलता,

सबको घर का राशन पानी।

मुझसे आकर कोई न उलझे,

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पहलवान है मेरी नानी।

तभी अचानक खिड़की में से,

आ धमकी बिल्ली महारानी।

डर के मारे बिल में घुस गई

वीर बहादुर चुहिया रानी।

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