राह की दिक्कतों को सहता चला गया,
अपने सभी गम भुलाता चला गया।
हरदम प्रभु का नाम ही कहता चला गया,
आया जो किस्मत उसी को समझकर,
कभी न अफसोस जताता चला गया।
दूसरों के लिए सदा खुद को,
हिम्मत बंधाता चला गया।
टूटा बहुत बार दिल मगर हमेशा,
दिखा जो उसी निहारता चला गया,
प्रभु का नाम बस पुकारता चला गया।
खुद के पैर में कांटे थे मगर,
मैं तो रास्ते को संवारता चला गया।
हर एक दु:ख पर जश्न मनाता चला गया,