बाल साहित्य : मिसाइलमैन

शत-शत नमन तुम्हें है, 
तुम भारत के बड़े महान। 


 

 
जब तक सूरज-चांद रहेगा, 
तब तक होगा नाम।। 
 
पचपन में जिसने कभी, 
लिया नहीं सुख-चैन। 
वही एक दिन बन गया, 
खुद मिसाइलमैन।।
 
संकट में बचपन कटा, 
की मेहनत-मजदूरी। 
आर्थिक तंगी थी सामने, 
हंसती रही मजबूरी।।
 
भूखे पेट सोना पड़ा था, 
ऐसे कटी थी रैन। 
वही एक दिन बन गया, 
खुद मिसाइलमैन।। 
 
संघर्ष से लड़ता रहा, 
करता रहा सब काम। 
ऊंचा सपना देख चुका था, 
कम करता आराम।।
 
अपने उच्च विचारों पर, 
लगा न पाया बैन। 
वही एक दिन बन गया, 
खुद मिसाइलमैन।। 
 
 
 
 
 

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