फनी बाल कविता : योजना पर पानी

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
एक ब्लेड में चालीस दाढ़ी,
का विज्ञापन आया।
खुशियों के मारे चूहे ने,
कत्थक नाच दिखाया।
 
सोचा, पैसे खूब बचेंगे,
खुश हो बैठे भारी।
इन पैसों से मोबाइल ले,
लूंगा बात बिचारी।
 
बोली चुहिया, किन्तु आप तो,
दाढ़ी नहीं बनाते।
दाढ़ी मूंछों के खर्चे में,
दमड़ी नहीं लगाते।
 
गुस्से में चूहा चिल्लया,
चुप हो जा मेरी नानी,
मेरी बनी योजना पर तू,
रोज फेरती पानी।

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