बाल गीत : गोरैया

सुशील कुमार शर्मा
हाइकू 24 
 
चोंच में दाना 
उठा उड़ी गोरैया 
चुगाती चूजे। 
 
कब आओगी 
गोरैया मेरे द्वार 
दाना चुगने। 
 
पेड़ पर है 
तिनकों का घोंसला 
गोरैया नहीं। 
 
नन्ही गोरैया 
फुदक-फुदककर 
दाना चुगती। 
 
मुन्ने के सिर 
फुदक रहा चूजा
प्रेम बंधन। 
 
अंजुरी भर 
प्रेममयी गोरैया 
स्नेहिल स्पर्श। 
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