बाल कविता : जीवन देगा कौन भला

पेड़ मिला था, पेड़ मिला।
मुझे राह में पेड़ मिला।


 
पत्ते सूखे-सूखे थे।
डालों के मन रूखे थे।
नहीं घोंसले कहीं रखे,
पंछी उस पर नहीं दिखे।
बोला तना सुबककर के,
मैं तो दुनिया छोड़ चला।
 
जड़ में सेंध लगाई थी।
विष की दवा पिलाई थी।
हींग रखी या मठा पड़ा,
नहीं किसी को पता लगा।
ऐसे कामों में लेकिन,
आगे है इंसान सदा।
 
पेड़ हमें वह देते हैं।
जिसको जीवन कहते हैं।
मिले ओसजन पेड़ों से,
छोटे-बड़े अधेड़ों से। 
अगर पेड़ न होंगे तो,
जीवन देगा कौन भला। 

 

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