हिन्दी कविता : नूतन वर्ष

नूतन वर्ष अंबर से खुशियां बरसाएगा 
आनंद का उपहार हाथों से लुटाएगा 
 
बुरे कर्म को भूल जाएंगे लोग 
पाप न करेंगे छोड़ेगे लोभ
 

 

 
कोई किसी को नहीं अब सताएगा 
आनंद का उपहार हाथों से लुटाएगा
 
धरा पर सुगंधि‍त उपजेंगे फूल
लोग भूल पाएं न अपना वसूल
 
अत्याचार भ्रष्टाचार, जग से चला जाएगा 
आनंद का उपहार, हाथों से लुटाएगा

वेबदुनिया पर पढ़ें