हिन्दी कविता : विजयादशमी...

डॉ. प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'
विजय हुए थे रामजी, 
अतुलित राक्षसी शक्ति से।
तब से मनाते हैं विजयादशमी, 
भारतवासी भक्ति से।।1।।
 
विजयादशमी के दिन हम सब, 
नीलकंठ दर्शन करते हैं।
बांटते हैं जी सोनपत्तियां, 
सबको गले लगाते हैं।।2।।

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