बुद्धि, मति के तुम हो स्वामी
कृपा करो हे अंतर्यामी।
बल शक्ति के तुम हो दाता
पराक्रम के तुम ही विधाता।
लक्ष्मण के तुमने प्राण बचाए
पूंछ से अपनी लंका जला आए।
भक्त करे प्रभु गुण गान तुम्हारा
बुराई तनिक भी टिक न पावे।,
वीर हनुमान का नाम जब आवे।
भक्त रहे ना कोई दुखियारे,
भक्तों के सभी कष्ट निवारे,
सदा रहो तुम राम दुलारे।
सफल करो हर काज हमारा,
सभी युगों में है राज तुम्हारा।
तुम्हारी शरण में ना अब भय।
बोलो सियावर रामचन्द्र की जय।
सौजन्य से - साभार- छोटी-सी उमर (कविता संग्रह)