बाल कविता: वोट डालने जाएं

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Poem on Voting
 
मम्मी पापा से कहिएगा
वोट डालने जाएं जी,
घर में यूं ही पड़े-पड़े वे,
व्यर्थ न समय गवाएं जी।
           
एक वोट की बहुत है कीमत,
दादाजी यह कहते हैं,
किसी योग्य अच्छे व्यक्ति को,
संसद में पहुंचाएं जी।
 
दादी कहती बड़ी भीड़ है,
कब तक लंबी लाइन में लगें,
वोट डालने उनको भी,
झटपट तैयार कराएं जी।
    
दादाजी हैं बड़े भुल्लकड़,
वोटिंग का दिन भूल गए,
सुबह-सुबह ही जल्दी जाकर,
उनको याद दिलाएं जी।
 
गुंडों बदमाशों को चुनना,
बहुत देश को घातक है,
घर-घर जाकर यही बात,
मतदाता को समझाएं जी|।
 
पुरा पड़ोसी वाले भी,
जब तब आलस कर जाते हैं,
एक वोट का क्या महत्व है,
उनको बात बताएं जी।
 
जो अनपढ़ सीधे सादे हैं,
ऐसे मतदाताओं को,
लोकतंत्र में वोट का मतलब,
क्या होता बतलाएं जी।
 
देखो परखो कि चुनाव में
कितने दागी खड़े हुए,
हो जाए बस जप्त जमानत,
ऐसा सबक सिखाएं जी।
 
बच्चों के द्वारा बच्चों की,
केवल बच्चों की खातिर,
दिल्ली में जाकर बच्चे,
अपनी सरकार चलाएं जी।

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