इवान दमित्रिच की जिंदगी भी दूसरों की तरह ही थी। महीने में वह 1200 रु. कमा लेता था और अपने काम से खुश था। उसका जीवन ठीक चल रहा था। आज खाने के बाद वह सोफे पर बैठकर अखबार पढ़ रहा था।
खाने की टेबल साफ करते हुए उसकी पत्नी ने उससे कहा कि आज मैं अखबार देखना ही भूल गई, तुम देखो क्या आज ड्रॉ की लिस्ट छपी है। इवान ने देखकर कहा- हाँ अखबार में लिस्ट है। पर क्या तुम्हारे टिकट की तारीख अब तक निकल नहीं चुकी होगी। इवान ने पूछा। पत्नी ने जवाब दिया- नहीं, मैंने वह पिछले मंगलवार को ही खरीदा था।
तो बताओ क्या नंबर है? इवान ने आगे कहा। पत्नी-9,499 की सीरिज में नंबर 26। ठीक है मैं देखता हूँ। 9,499 और 26। इवान को लॉटरी टिकट पर कोई भरोसा नहीं होता था और उसकी लॉटरी के नंबर देखने में भी कोई रुचि नहीं थी पर इस वक्त उसके पास कोई दूसरा काम नहीं था और अखबार उसकी आँखों के सामने था तो उसने टिकट नंबरों वाले कॉलम पर नजर दौड़ाई। यह उसने किसी खास उत्साह से नहीं किया। उसे 9,499 ढूँढने के लिए दूसरी लाइन से आगे नहीं जाना पड़ा। नंबर देखते ही उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ।
सीरिज देखने के बाद उसने टिकट नंबर देखे बिना ही अखबार फेंका और दौड़कर एक गिलास पानी पिया। इस समय अचानक उसके पेट में तेज गुर्राट हुई थी। यह मीठी सी गुर्राट थी। और इसके बाद आकर वह खुशी में चिल्लाया- माशा, 9,499 इसमें हैं। तेज साँस बाहर छोड़ते हुए उसने यह बड़ा समाचार दिया। पत्नी इवान का घबराया और सुन्ना चेहरा देखकर ही समझ गई कि इवान मजाक नहीं कर रहा है। क्या यह 9,499 ही है? उसने टेबल पर कपड़ा बिछाते हुए पूछा। यह पूछते हुए वह खुद भी सन्ना थी।
हाँ... हाँ... लिस्ट में यह सीरिज है! और टिकट नंबर? अरे हाँ! टिकट नंबर भी यही होगा। इतनी जल्दबाजी ठीक नहीं... थोड़ा इंतजार करो। पत्नी ने कहा। इवान बोला- नहीं, मैं कहता हूँ। अब कुछ भी हो, हमारा सीरिज नंबर यहाँ दिया गया है। ठीक है जैसा तुम समझो। पत्नी ने कहा।
अपनी पत्नी की तरफ देखते हुए इवान ने एक चौड़ी और बनावटी मुस्कुराहट दी। बिलकुल वैसी जैसी किसी बच्चे को कोई चीज दिखाने पर वह हँस देता है। पत्नी ने भी उत्तर में वैसा ही किया। दोनों अभी सीरिज का नंबर देखकर ही खुशी में बावरे हो गए थे। टिकट नंबर को मिलाने की जल्दी उन्हें इसलिए नहीं थी क्योंकि वे इस खुशी को जीना चाहते थे।
इवान को अपने रिश्तेदारों का भी खयाल आया जो लॉटरी जीतने पर उसे बधाई देने आएँगे। अंदर ही अंदर वे कितनी ईर्ष्या कर रहे होंगे। इवान उन्हें कुछ देगा तो वे ज्यादा माँगेंगे और न देगा तो बुरा-भला कहेंगे।
थोड़े समय चुप रहने के बाद इवान बोला- हमारी सीरिज अखबार में है। तो एक आस बँधती है कि हम जीते हो। यह केवल एक संभावना है, पर है तो! यह ऊपर से दूसरी लाइन में है तो इसका मतलब हुआ कि इनाम की रकम 75 हजार होगी। इवान अंदाज लगाने लगा। सिर्फ पैसे की बात नहीं है बल्कि इससे समाज में हमारा रुतबा भी बढ़ जाएगा। और अगर 26 नंबर लिस्ट में है तो फिर तो क्या बात है। अगर हम जीत गए तो? पति-पत्नी मौन होकर एक-दूसरे की तरफ देखने लगे। जीत की संभावना ने दोनों को घबरा दिया था। दोनों बोल नहीं पा रहे थे, सोच नहीं पा रहे थे, उन 75 हजार रुपयों के कारण जो दोनों चाहते थे।
दोनों क्या खरीदेंगे, कहाँ जाएँगे। 9,499 और 75,000 ये आँकड़ें दोनों के दिमाग में दौड़ रहे थे। दोनों उस खुशी का अनुमान नहीं लगा पा रहे थे जो लॉटरी जीतने पर मिलने वाली थी। इवान बगल में अखबार दबाए कई बार इधर से उधर चहलकदमी करता रहा। यह पहला मौका था जब वह खुद को कुछ अलग महसूस कर रहा था।
और अगर हम जीत गए तो? इवान ने कहा- तो फिर हम अपनी जीने का ढंग बदल देंगे। बदलाव होना ही चाहिए। टिकट तुम्हारा है पर अगर यह मेरा टिकट होता तो सबसे पहले मैं जीती रकम से 25 हजार जमीन-जायदाद खरीदने में लगाना पसंद करता। 10 हजार रु. जरूरत की सामान्य चीजों, नए फर्नीचर, यात्रा, उधार चुकाने और दूसरी चीजों में। बाकी बचे 40 हजार मैं बैंक में रख देता और उससे मिलने वाले ब्याज पर अपने जिंदगी के मजे करता।
जमीन-जायदाद वाला खयाल ठीक है, अपने पल्लू में उँगली चलाते हुए पत्नी ने कहा। तूला और ऑरयॉल इलाके (महँगे इलाके) में सबसे पहले एक बंगला और जिंदगी भर मिलने वाली रकम का खयाल अच्छा है। इसके साथ ही दोनों के दिमाग में खूब सारी कल्पनाएँ उमड़ने लगी। हर थोड़ी देर में वे कुछ नया सोचते जो पहले सोची गई बात से आगे होता। कल्पनाओं में इवान खुद को अब एक महत्वपूर्ण व्यक्ति समझने लगा। उसने देखा कि वह एक बड़ा आदमी है। अब उसकी दिनचर्या बदल गई है। सूप पीने के बाद वह अपने गार्डन में लेटा हुआ है। यह गर्मियों के दिन हैं। उसके पास ही उसकी बेटी और बेटा खेल रहे हैं।
बच्चे मिट्टी से खेल रहे हैं, तितलियाँ पकड़ रहे हैं। इवान लेटे हुए सोचता है कि आज से उसे ऑफिस जाने की जरूरत नहीं है। लेटे-लेटे बोर होने पर वह मशरूम लाने के लिए जंगल जा सकता है, मछलियाँ पकड़ने वालों को देख सकता है। जब दिन ढलने लगेगा तो वह स्नान करने जाएगा। उसका गुसलखाना किसी राजा से कम नहीं होगा और नहाने के बाद वह क्रीम रोल के साथ चाय लेगा और फिर पड़ोसियों के साथ शाम को घूमने जाएगा।
तभी पत्नी ने कहा कि जायदाद खरीदना ठीक रहेगा। इस बीच वह भी अपनी कल्पनाओं में डूबी हुई थी। इवान तीनों मौसम के हिसाब से अपनी दिनचर्या के सपने देखने में डूबा था। वह सोचता है कि अगर गर्मियाँ हुई तो नदी के किनारे या बगीचे में ही चहलकदमी करेगा। फिर अपना पसंदीदा पेय पिएगा और उसके आसपास उसके बच्चे खेलते रहेंगे। वह फिर आराम से सोफे पर लेटकर किसी पत्रिका को देखेगा। फिर वहीं सो जाएगा। गर्मियों के बाद बारिश आएगी और तब कहीं बाहर जाना नहीं हो पाएगा तो वह घर में रहकर ही मजे करेगा।
इसी बीच थोड़ी देर के लिए सोचना छोड़कर उसने अपनी पत्नी की तरफ देखा और कहा- मैं सोचता हूँ कि विदेश घूम आऊँगा। फ्रांस, इटली या फिर इंडिया कहीं भी। पत्नी ने कहा कि वह भी विदेश घूमने का सोचती है। तभी पत्नी ने कहा कि पहले टिकट का नंबर तो मिलाओ। ठहरो... इवान कमरे में गया और सोचने लगा कि वह विदेश जाएगा पर पत्नी साथ रहेगी तो सारी यात्रा का सत्यानाश हो जाएगा। उसे यात्रा में पत्नी बहुत सारे बास्केट, बैग और पार्सल के साथ नजर आई। अचानक पत्नी और बच्चे उसे अपने आनंद में खलल डालते नजर आए। इसके बजाय तो अकेले जाने में ही ज्यादा आनंद है।
इवान को खयाल आता है कि टिकट पत्नी का है पर अगर उसके साथ बाहर गया तो वह होटल छोड़कर कहीं भी घूमने नहीं जाने देगी। पसंद का खाना नहीं खाने देगी और फिर पूरा दिन होटल में ही बिताना पड़ेगा। पहली बार जीवन में इवान को अपनी पत्नी से घृणा हुई और उसे दूसरी शादी का खयाल भी आया। उसने यह भी सोचा कि पत्नी ने जीती रकम अपने पास रख ली तो? इवान को अपने रिश्तेदारों का भी खयाल आया जो लॉटरी जीतने पर उसे बधाई देने आएँगे। अंदर ही अंदर वे कितनी ईर्ष्या कर रहे होंगे। इवान उन्हें कुछ देगा तो वे ज्यादा माँगेंगे और न देगा तो बुरा-भला कहेंगे।
पत्नी को वह अपने सारे सपने बता चुका था तो अगर पत्नी ने अपना धन देने से मना कर दिया तो क्या होगा! यह सोचकर इवान का मन कड़वा हो गया। वह अंदर ही अंदर तरह-तरह की बुरी बातें सोचने लगा। अपनी पत्नी को घृणा से देखते हुए जैसे ही उसने अखबार के चौथे पन्नो पर विजेता की तरह नजर डाली और पढ़ा- सीरीज 9,499 और नंबर 46। यह 26 नंबर नहीं था। सारी आशाएँ और घृणा एक पल में धुल गईं। दोनों ने अपने छोटे से कमरे में रात का खाना बेमन से खाया। कमरे में झाड़ू भी नहीं लगी थी। इवान को कुछ भी बोलते नहीं सूझ रहा था। दोनों के सारे सपने जमीन पर आ गए थे।