फेसबुक स्टोरी : प्रभु की प्रार्थना

सम्राट अकबर शिकार पर गए थे। शिकार करते-करते शाम हो गई। नमाज का वक्त हो गया। वे नमाज पढ़ने लगे तभी एक लड़की वहां से भागती हुई सम्राट को धक्का देती आगे निकली। अकबर गिर गए, लेकिन नमाज में बोले कैसें? क्रोध तो बहुत आया!
 
एक तो कोई नमाज पढ़ रहा है, उसके साथ ऐसा व्यवहार! जल्दी-जल्दी अकबर ने नमाज पूरी की और उस लड़की का पीछा ही करने की सोची, लेकिन वो लड़की खुद ही वापस लौट रही थी।
 
अकबर ने कहा- पागल होश में हो? मैं नमाज पढ़ रहा था, तूने मुझे धक्का दिया! इतना तो ख्याल होना चाहिए कि फकीर हो या गरीब, कोई भी नमाज पढ़े तो सम्मान होना चाहिए! प्रभु की प्रार्थना में जो लीन है उसके साथ ऐसा दुर्व्यवहार? मैं सम्राट हूं क्या तुम्हें ये भी दिखाई न पड़ा।
 
उस लड़की ने झुककर प्रणाम किया और कहा- मुझे माफ करे हुजूर। भूल हो गई क्यूंकि... मेरा प्रेमी आज आने वाला था, मैं राह पर गांव के बाहर उसके स्वागत को गई थी। मुझे याद नहीं आपको कब धक्का लगा, मुझे याद भी नहीं कि आप कब बीच में आए। लेकिन सम्राट एक बात मुझे पूछनी है कि मैं साधारण प्रेमी से मिलने जा रही थी और ऐसी मगन थी कि मुझे आप दिखाई ही नहीं पड़े और आप परमात्मा से मिलने बैठे थे, आपको मेरा धक्का मालूम हुआ? मैं आपको दिखाई पड़ी?
 
अकबर की आंखें शर्म से झुक गईं। अकबर सोचने लगे बात तो उसने बिलकुल सही कही थी। कब वो दिन आएगा, जब इन छोटी बातों का हम पर फर्क नहीं पड़ेगा! वास्तव में जिन्हें ईश्वर और जीवन में कुछ पाने की तमन्ना होती है, वे वाद-विवाद में नहीं पड़ते।
 
अगर खुदा नहीं है तो उसका जिक्र क्यों?
 
और अगर खुदा है तो फिर फिक्र क्यों?

 

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