एकदंत कैसे कहलाए गणेशजी, पढ़ें रोचक कथा

WD Feature Desk
ganesh katha
महाभारत विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है। इसमें एक लाख से ज्यादा श्लोक हैं। महर्षि वेद व्यास के मुताबिक यह केवल राजा-रानियों की कहानी नहीं बल्कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की कथा है। इस ग्रंथ को लिखने के पीछे भी रोचक कथा है। कहा जाता है कि ब्रह्मा ने स्वप्न में महर्षि व्यास को महाभारत लिखने की प्रेरणा दी थी।
 
महर्षि व्यास ने यह काम स्वीकार कर लिया, लेकिन उन्हें कोई इसे लिखने वाला न मिला। वे ऐसे किसी व्यक्ति की खोज में लग गए जो इसे लिख सके। महाभारत के प्रथम अध्याय में उल्लेख है कि वेद व्यास ने श्री गणेश जी को इसे लिखने का प्रस्ताव दिया तो वे तैयार हो गए। उन्होंने लिखने के पहले शर्त रखी कि महर्षि कथा लिखवाते समय एक पल के लिए भी नहीं रुकेंगे।
 
इस शर्त को मानते हुए महर्षि ने भी एक शर्त रख दी कि गणेश भी एक-एक वाक्य को बिना समझे नहीं लिखेंगे। इस तरह गणेश जी के समझने के दौरान महर्षि को सोचने का अवसर मिल गया।
 
महाभारत लिखने के दौरान जल्दबाजी के कारण ही श्री गणेश ने अपना एक दांत तुड़वा लिया था। दरअसल बिना रुके लिखने की शीघ्रता में यह दांत टूटा था। तभी से वे एकदंत कहलाए। लेकिन इतनी शीघ्रता के बाद भी श्री गणेश ने एक-एक शब्द समझ कर लिखा।
 
सबक- महाभारत लिखने वाले श्री गणेश आजकल के प्रबंधकों के लिए एक संदेश देते हैं। प्रबंधक चाहे एक श्रोता या एक वक्ता उसे हमेशा ही विषय को लेकर गंभीर रहना चाहिए। अच्छा लेखन या बेहतर संवाद तभी हो सकता है जब हमारी समझ और ज्ञान साफ हो।

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