भगवान की अदभुत रचना है... मां

नम्रता जायसवाल
शनिवार, 12 मई 2018 (18:03 IST)
एक बार की बात है। एक महिला थी वह बहुत खुश थी, क्योंकि वह अब एक साधारण सी लड़की से मां बनने जा रही थी और अपने जीवन के एक नए पड़ाव में कदम रखने वाली थी। वो अपने आने वाले बच्चे के लिए बहुत सपने देखने लगी थी। लेकिन उसे नहीं पता था कि जो बच्चा आना वाला है, वो इस दुनिया के बारे में क्या सोचता है?
 
ये बच्चा इस दुनिया में कदम रखने से पहले अपने असली घर परमधाम मे रहता था यानी स्वर्ग में। ये बच्चा वहां आराम से अपने परमपिता के साथ रहता था। यहां वह बहुत खुश था और उसे किसी बात की कोई तकलीफ नहीं थी।
 
एक बार परमपिता शिवजी ने उससे कहा- बच्चे, तुम्हारा नीचे धरती पर जाने का समय नजदीक आ रहा है।
 
बच्चे ने कहा- भगवान, मैं इतना छोटा हूं, खुद से कुछ भी कर नहीं पाता हूं, सिर्फ दिनभर खेलना और हंसना जानता हूं इसलिए मैं कहीं नहीं जाना चाहता हूं। मैं हमेशा आपके साथ ही रहना चाहता हूं।
 
इस पर भगवान ने कहा- बच्चे धरती पर मेरे बहुत सारे फरिश्ते हैं। उन्हीं में से एक मैंने तुम्हारे लिए चुन लिया है, वो तुम्हारा इंतजार कर रहा है। अब से वो ही तुम्हारा खयाल रखेगा।
 
बच्चे ने कहा- लेकिन मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आता, न ही सुनकर, न देखकर और न ही बोलना आता है। मेरा तो हर काम आप करते हैं। मुझे तो मेरी खुद की जरूरत के बारे में भी पता नहीं चलता। मेरी हर जरूरत भी सिर्फ आप ही जानते हैं। ऐसे में मैं अकेला धरती पर कैसे जा सकता हूं?
 
भगवान ने कहा- तुम्हारा फरिश्ता, तुम्हारा चेहरा देखकर ही तुम्हारी हर जरूरत और इच्छा समझ जाएगा। उससे बात करने के लिए तुम्हें किसी भी भाषा की जरूरत नहीं पड़ेगी। 
 
बच्चे ने कहा- जब वहां लोग मुझसे बात करेंगे, तो मैं समझूंगा कैसे?
 
भगवान ने कहा- तुम्हारा फरिश्ता तुम्हें बाहरी लोगों से बातचीत के लिए भाषा बोलना भी सिखाएगा। वो तुम्हारे होठों पर जरा सी मुस्कान लाने के लिए किसी भी हद तक चले जाएगा और तुम उसके प्रेम को महसूस करोगे और खुश रहोगे।
 
बच्चे ने कहा- और जब मुझे आपसे बात करनी हो तो मैं क्या करूंगा?
 
भगवान ने कहा- तुम्हारा फरिश्ता ही तुम्हें हाथ जोड़कर प्रार्थना करना सिखाएगा और इस तरह तुम हमेशा अपने मन की बात मुझसे कर पाओगे।
 
बच्चे ने कहा- मैंने सुना है कि धरती पर बुरे लोग भी होते हैं, मुझे उनसे कौन बचाएगा? मैं तो खुद की रक्षा करना जानता ही नहीं!
 
भगवान ने कहा- तुम्हारा फरिश्ता ही तुम्हें बचाएगा, भले ही उसकी अपनी जान पर खतरा क्यों न आ जाए।
 
बच्चे ने कहा- लेकिन मैं हमेशा दुखी रहूंगा, क्योंकि मैं आपको नहीं देख पाऊंगा।
 
इस पर भगवान मुस्कुराए और कहा- तुम इसकी चिंता मत करो। तुम जब जब अपने फरिश्ते को देखोगे तो उसके चेहरे में मुझे ही पाओगे।
 
तभी धरती से किसी के दर्द से कराहने की आवाज आ रही थी। बच्चा समझ गया कि अब उसे जाना होगा।
 
उसने भगवान से रोते-रोते आखिरी प्रश्न पूछा- हे भगवान, अब तो मैं जाने ही वाला हूं, कृपया मुझे उस फरिश्ते का नाम बता दीजिए?
 
भगवान बोले- फरिश्ते के नाम का कोई महत्व नहीं है, बस इतना जान लो कि तुम उसे 'मां' कहकर पुकारोगे।
 


 

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