शिक्षाप्रद कहानी : सच्ची सेवक...

मदर टेरेसा एक सच्ची सेवक थीं। एक बार मदर टेरेसा कुष्ठ रोग से पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए कोलकाता में दुकान-दुकान जाकर चंदा एकत्र कर रही थीं।

इसी सिलसिले में मदर एक अमीर व्यापारी की दुकान पर पहुंची, जो अपनी दुकान पर बैठे-बैठे पान चबा रहा था। 

जब मदर ने उस व्यापारी के आगे अपना सीधा हाथ फैलाकर कहा कि कुष्ठ रोग से पीड़ित भाइयों के लिए कुछ देने की कृपा करें, तब उस व्यापारी ने मदर के सीधे हाथ पर पान की पीक थूक दी। 
 
इस पर मदर टेरसा बिल्कुल भी विचलित नहीं हुईं और उन्होंने तुरंत अपना सीधा हाथ पीछे करते हुए कहा, 'यह तो मेरे लिए हो गया' और फिर अपना बायां हाथ आगे फैलाते हुए अत्यंत प्यार से बोली,' अब कृपा कर मेरे कुष्ठ रोगी भाइयों के लिए कुछ देने का कष्ट करें।'
 
उस व्यापारी ने सोचा भी नहीं था कि किसी के हाथ पर थूकने के बाद भी वह बिल्कुल विचलित और क्रोधित नहीं होगा और उल्टा अपना प्यार प्रदर्शित करेगा। वह तुरंत मदर के चरणों में गिर पड़ा। अपने किए की माफी मांगी और उसके बाद मदर टेरेसा की मदद भी की।

सीख : हमें किसी भी परिस्थितियों में हार नहीं माननी चाहिए तथा हमेशा दूसरों के प्रति सेवाभाव रखना चाहिए। 

 

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