उन दोनों मेंढकों ने ऊपर खड़े मेंढकों की बाद नहीं सुनी और वे उस गड्डे से निकलने के प्रयास में जुट गए। वे जोर जोर से उछल उछल कर उसे गड्डे से निकलने का प्रयास करने लगे। यह देखकर ऊपर के मेंढक चिल्लाने लगे अरे पागल हो गया? तुम दोनों क्यों व्यर्थ की मेहनत कर रहे हो। व्यर्थ ही एनर्जी वेस्ट कर रहे हो अब तो तुम्हें जीवनभर इसी गड्डे में रहना है तो हार मान लो।
परंतु उन दोनों मेंढकों पर उपर के लोगों की बातों का कोई असर नहीं हो रहा था और वे उनकी बातें सुनकर और भी जोर जोर से उछलने लगे। फिर दोनों में से एक मेंढक ने उपर खड़े मेंढकों की बातें सुन ली और वह निराश होकर एक कोने में जाकर बैठ गया। परंतु दूसरा मेंढक लगातार उछलता ही जा रहा था और उसने अपना प्रयास जारी रखा। इस बीच उपर के मेंढक चिल्ला चिल्ला का उसे समझा रहे थे कि क्यों व्यर्थ ही कूद फांद कर रहे हो, तुम भी उसे दूसरे बैठक की भांति हर मानकर एक कोना पकड़ लो। इसी गड्डे के जीवन से अब संतुष्ट होकर रहो।
परंतु वह मेंढक शायद ऊपर से चीख रहे मेंढकों की बात नहीं सुन पा रहा था। बहुत कठिन प्रयास करके के बाद आखिरकार वह मेंढक गड्डे से बाहर निकल ही आया। बार आकर दूसरे मेंढकों से उसे पूछा क्या तुम्हें हमारी समझ में नहीं आई या सुनी नहीं? उस मेंढक को फिर भी कुछ समझ में नहीं आया तब उसने इशारों से बताया कि वो उनकी बात नहीं सुन सकता क्योंकि वह बेहरा है। तुम क्या चिल्ला रहे थे मैं समझ नहीं पाया परंतु मैं सोच रहा था कि शायद तुम मेरा उत्साह बढ़ा रहे हो। इसीलिए मैंने प्रयास नहीं छोड़ा।... सभी मेंढक उसके इशारों की यह बात समझकर दंग रह गए।
सीख : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि लोग क्या कर रहे हैं या लोग क्या सोचेंगे इस बात का हम पर कोई असर नहीं होना चाहिए। लोग चाहे जो भी कहें आप अपने आप पर विश्वास रखें और अपने प्रयास को जारी रखें। एक न एक दिन सफलता आपको जरूर मिलेगी। दूसरा यह शिक्षा भी मिलती है कि दूसरा का हौसला बढ़ना चाहिए तोड़ना नहीं। इसलिए हमेशा सकारात्मक बोलें। कड़ी मेहनत, खुद पर विश्वास और सकारात्मक सोच से ही सफलता अर्जित की जा सकती है।