रास्तेभर मैं उसके बारे में सोचती रही, पर मेरी छोटी बहन अर्शी को जानवरों के बालों से एलर्जी थी। जब हम नानाजी के घर पहुंचे तो एक भूरे बालों वाला छोटा सा मोटा ताजा पप्पी दौड़ता हुआ आया और भौंकने लगा। मुझे थोड़ा सा डर लगा, पर मेरे मामा ने मेरी उससे मित्रता करा दी। उसका नाम विक्कू था।
एक दिन दोपहर में मैं विक्कू और नानी छत पर सूखे कपड़े उतारने गए तो विक्कू भी हमारे साथ आ गया। आंधी आई थी इसलिए पड़ोसी के आम के पेड़ से कुछ आम टूटकर हमारी छत पर गिर गए थे। विक्कू उन्हें गेंद समझकर खेलने लगा। मैं भी उसके साथ खेलने लगी। अब हमारी विक्कू से दोस्ती हो गई थी। मुझे विक्कू बहुत अच्छा लगता था। वह अजनबियों को देखकर बहुत भौंकता था।
एक शाम को हमारे नानाजी आंगन में बैठे थे कि उनसे मिलने उनके कुछ दोस्त आ गए। विक्कू उन्हें देखकर जोर-जोर से भौंकने लगा। इस पर नानाजी को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने पास पड़ी लकड़ी उठाई और 2-3 बार विक्कू को जोर से मार दिया। वह चिल्लाता हुआ अंदर चला गया। शायद उसे जोर से लग गई थी। मुझे विक्कू पर बहुत दया आई। अब विक्कू किसी को देखकर नहीं भौंकता था और गुमसुम-सा बैठा रहता था। जब भी नानाजी आते, वह सहमकर छुप जाता।
उस दिन दोपहर को हमारे अहाते में कुछ शरारती बच्चे घुस गए और कच्चे आम तोड़-तोड़कर खाने लगे। साथ ही नानी के बगीचे के फूल भी तोड़ लिए। विक्कू उन्हें चुपचाप देखता रहा, पर डर के मारे भौंका नहीं। तब नानीजी ने नाना को समझाया कि देखो, विक्कू को हमने अपनी सुरक्षा के लिए पाला है। उसके साथ प्यार से बात किया करो।