एक उल्कापिंड गिरेगा और दुनिया तबाह!

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क्या 21 दिसंबर, 2012 को दुनिया 'काल के गाल' में समा जाएगी...? एक बार फिर भविष्यवाणियों, अनुमानों और दावों का दौर चल पड़ा है। इससे पहले भी 21 मई, 2011 को प्रलय की भविष्यवाणियां की गई थीं, लेकिन सब कुछ पहले की तरह ही चल रहा है। इन अनुमानों के माध्यम से लोगों में कहीं अनावश्यक भय तो पैदा नहीं किया जा रहा है?

अंधविश्वास और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित यह भविष्य आकलन कितने सही होते हैं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन हम रूबरू करा रहे हैं आपको प्रलय से जुड़ी उन मान्यताओं से, जिनका मानना है कि इस वर्ष के अंत में दुनिया नष्ट हो जाएगी।

21 दिसंबर 2012 को प्रलय आने वाली है। माया सभ्यता का कैलेंडर उक्त तारीख को समाप्त हो रहा है, इसलिए उस सभ्यता के लोग मानते थे कि यह दिन प्रलय का दिन है। इधर नास्त्रेदमस के सूत्रों का विश्लेषण करने वाले भी दावा करते हैं कि नास्त्रेदमस ने भी इस दिन को प्रलय का दिन माना है। उनका मानना है कि आकाश से गिरेगी एक विशालकाय उल्का और धरती नष्ट हो जाएगी।

माया सभ्यता के अंधविश्वास पर हॉलीवुड में एक फिल्म भी बन चुकी है- प्रलय 2012...। इस फिल्म में दिखाया गया है कि 21 दिसंबर 2012 को एक ग्रह आएगा जो पृथ्वी से टकराएगा और प्रलय आ जाएगा। उस ग्रह का नाम होगा नीबीरू। नीबीरू सब कुछ तहस-नहस कर देगा और हम सब मारे जाएंगे। नीबीरू काफी समय से चर्चा में है। उसे प्लेनेट एक्स भी कहा जाता है। हालांकि नासा ऐसे किसी ग्रह का अस्तित्व नहीं मानता।

दरअसल 'नीबीरू' नैन्सी लीडर नाम की एक महिला के दिमाग की उपज है, जो अमेरिका के विस्कॉन्सिन की रहने वाली है। वह कहती है कि उसके मस्तिष्क में एक प्रतिरोपण है, जिसके जरिए वह जेटा रेटीकुली नामक एक ग्रह के लोगों के संपर्क में रहती है।

इधर फ्रांस के भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस (Nostradamus : 1503-1566) ने 16वीं सदी में अपनी भविष्यवाणियों की एक किताब लिखी 'सेंचुरी'। सेंचुरी में लगभग 100 भविष्यवाणियां सूत्रबद्ध हैं। इस किताब से पूरे फ्रांस में तहलका मच गया था। बाद में इसे दुनिया की अधिकतर भाषाओं में अनुवाद किया किया।

उनकी भविष्यवाणियों के जानकार अब तक घटी घटनाओं के बारे में नास्त्रेदमस की सूत्रबद्ध घटनाओं को निकालकर उसके सत्य होने की घोषणा करते हैं। इस तरह दावा किया जाता है कि उनके द्वारा की गईं कई भविष्यवाणियां सच साबित हुई है। नास्त्रेदमस के आलोचकों का मानना है कि उनके सूत्रों की व्याख्याएं कुछ भी हो सकती है। आलोचकों का कहना है कि व्याख्याएं महज गलत अनुवाद या गलतफहमी का परिणाम हैं।

माया सभ्यता और धर्म की धारणा की तरह नास्त्रेदमस ने भी 2012 में धरती के खत्म होने की भविष्यवाणी की है। नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के विश्लेषकों अनुसार नास्त्रेदमस ने प्रलय के बारे में बहुत स्पष्ट लिखा है कि मैं देख रहा हूं कि आग का एक गोला पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है जो धरती से मानव की विलुप्ति का कारण बन सकता है।

ऐसा कब होगा इसके बारे में स्पष्ट नहीं, लेकिन ज्यादातर जानकार 2012 को ऐसा होने की घोषणा करते हैं। ऐसा तब होगा जबकि तृतीय विश्व युद्ध चल रहा होगा तब आकाश से एक उल्कापिंड हिंद महासागर में गिरेगा और समुद्र का सारा पानी धरती पर फैल जाएगा जिसके कारण धरती के अधिकांश राष्ट्र डूब जाएंगे या यह भी हो सकता है कि इस भयानक टक्कर के कारण धरती अपनी धूरी से ही हट जाए और अंधकार में समा जाए।

नास्त्रेदमस तृ‍‍तीय विश्व युद्ध के बारे में भी भविष्यवाणी करते हैं कि 'एक पनडुब्बी में तमाम हथियार और दस्तावेज लेकर 'वह व्यक्ति' इटली के तट पर पहुंचेगा और युद्ध शुरू करेगा। उसका काफिला बहुत दूर से इतालवी तट तक आएगा।'

विज्ञान भी मानता है : ज्यादातर वैज्ञानिक मानते हैं कि पृथ्वी पर प्रलय अर्थात जीवन का विनाश तो सिर्फ सूर्य, उल्कापिंड या फिर सुपर वॉल्कैनो (महाज्वालामुखी) ही कर सकते हैं। हालांकि कुछ वैज्ञनिक कहते हैं कि सुपर वॉल्कैनो पृथ्वी से संपूर्ण जीवन का विनाश करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि कितना भी बड़ा ज्वालामुखी होगा वह अधिकतम 70 फीसदी पृथ्वी को ही नुकसान पहुंचा सकता है।

अब जहां तक सवाल उल्कापिंड का है तो अभी तक खगोलशास्त्रियों को पृथ्वी के घूर्णन कक्षा में ऐसा कोई उल्कापिंड नहीं दिखा है, जो पृथ्वी को प्रलय के मुहाने पर ला दे। फिर भी इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि यदि कोई भयानक विशालकाय उल्कापिंड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के चंगुल में फंस जाए तो तबाही निश्चित है। अगले भाग में पढ़े ...तो क्या सूर्य बनेगा प्रलय का कारण?

-(वेबदुनिया डेस्क)

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