एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि चंद्रमा पर मौजूद जल का अधिकांश हिस्सा धूमकेतुओं की टक्कर के चलते आया होगा, जो इसकी प्रारंभिक अवस्था में इससे टकराया होगा।
गौरतलब है कि पिछले चार दशक से चंद्रमा के बारे में यह सोचा जाता था कि यह शुष्क है, इस पर पानी का अस्तित्व नहीं है क्योंकि इस पर जीवन और वायुमंडल नहीं है।
पिछले साल नासा ने जब इस उपग्रह पर बर्फ के रूप में मौजूद पानी का पता लगाया, इसके बाद इस धारणा में बदलाव आया।
कनेक्टिकट के वेसलायन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक जेम्स ग्रीनवुड के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक दल ने अपोलो मिशन के दौरान एकत्र किए गए चट्टानों के नमूनों का विश्लेषण किया है, जिसके तहत उन्होंने जल की उपलब्धता वाले खनिज में हाइड्रोजन के आइसोटॉप की भिन्नता दर्ज की।
इसमें मौजूद आइसोटॉप इससे पूर्व मापे गये हेल बॉप, हयाकुटेक और हेली धूमकेतुओं के जैसे हैं। गौरतलब है कि धूमकेतुओं को बर्फ के रूप में मौजूद जल का भंडार माना जाता है। (भाषा)