केरल में मिला उल्का पिंड!

शनिवार, 28 फ़रवरी 2015 (15:13 IST)
तिरुवनंतपुरम। एर्नाकुलम जिले के करीमल्लूर गांव में एक संदिग्ध गड्ढा देखा गया है। ऐसा माना जा रहा है कि यह गड्ढा शुक्रवार रात केरल के कई जिलों में देखे गए आग के गोले से बना है।

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के आधिकारिक वैज्ञानिक शेखर कुरियाकोस ने कहा कि एसडीएमए का एक दल घटनास्थल रवाना हो गया है।

उन्होंने कहा, ‘हमने एर्नाकुलम जिले के करीमल्लूर गांव में एक संदिग्ध उल्कापिंड को चिन्हित किया है और हमारा दल मौके पर पहुंच रहा है।’ उन्होंने कहा कि इस घटना की वजह सुनिश्चित किया जाना अभी बाकी है लेकिन ऐसी संभावना है कि यह गड्ढा एक उल्का के कारण हुआ।

कल रात केरल के त्रिशूर, एर्नाकुलम, पलक्कड, कोझिकोड और मल्लापुरम जिलों में एक बड़ा-सा ‘आग का गोला’ सीधी लकीर में चलते देखा गया था।

उन्होंने कहा कि गांव के जिस क्षेत्र में यह गड्ढा पाया गया, वह जल चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि और अधिक जानकारी अधिकारियों के घटनास्थल पर पहुंचने के बाद आने की संभावना है।

हालांकि प्राधिकरण ने इन कयासों को खारिज कर दिया है कि ‘आग का गोला’ किसी आकाशीय पिंड का मलबा है। ऐसा करने के पीछे मूल वजह यह है कि अंतरिक्ष एजेंसियों का संघ अंतरिक्ष से जुड़ी गतिविधियों पर नजर रखता है और ऐसी किसी भी घटना की जानकारी उसने दी होती।

कुरियाकोस ने इस ‘वस्तु’ के ‘धातु’ होने से भी इंकार कर दिया क्योंकि यदि ऐसा होता तो वायु यातायात नियंत्रण रडार व्यवस्था ने इसे रिकॉर्ड किया होता।

इसी बीच विज्ञान लेखक और ब्रह्‍मांड विज्ञान के शोधकर्ता राजगोपाल कामथ ने कहा कि यह ‘आग का गोला’ किसी ‘रॉकेट या उपग्रह का हिस्सा’ हो सकता है यह पथरीला उल्का पिंड भी हो सकता है क्योंकि कई जगहों पर लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने नीले रंग की आग देखी थी, जो कि विशेषकर उल्कापिंडों में पाई जाती हैं।

स्थानीय लोगों ने कहा कि इस ‘वस्तु’ के गुजरने पर उन्होंने कंपन महसूस किया और आवाजें सुनीं।

कोच्चि के स्थानीय निवासी ने कहा, ‘हमने उल्कापिंड जैसा एक आग का गोला देखा। पहले हमने सोचा कि किसी ने पटाखा जलाया होगा। फिर दरवाजे और खिड़कियां हिलने लगे। कुछ लोगों को लगा कि कहीं विस्फोट हुआ है।’ (भाषा)

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