सौरमंडल में सूर्य और बृहस्पति के बाद शनि का नंबर आता है। जिस तरह सूर्य उदय और अस्त होता है, उसी तरह शनि भी उदय और अस्त होता है। जब भी शनि उदय होता है तो धरती पर उसका गहरा असर होता है। धरती के सभी लौह अयस्क, तेल और काला पत्थर पर शनि का प्रभाव रहता है।
यह माना जाता है कि शनिदेव मनुष्य को उसके पाप और बुरे कार्यों आदि का दंड प्रदान करते हैं। शनिदेव के कारण गणेशजी का सिर छेदन हुआ।
कहते हैं कि शनिदेव के कारण ही राम को वनवास जाना पड़ा, रावण को राम के हाथों मरना पड़ा, पांडवों को राज्य से भटकना पड़ा, विक्रमादित्य को कष्ट झेलना पड़ा, राजा हरीशचंद्र को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं और राजा नल और उनकी रानी दमयंती को जीवन में कई कष्टों का सामना करना पड़ा था। आओ जानते हैं
लाल किताब के अनुसार शनि के शुभ, अशुभ की निशानी और उससे बुरे प्रभाव से बचने के अचूक उपाय।
अगले पन्ने पर शनि के अशुभ प्रभाव के लक्षण...
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अशुभ की निशानी :
* शनि के अशुभ प्रभाव के कारण मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है। * कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिक जाता है। * अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं। * अचानक घर या दुकान में आग लग सकती है। * धन, संपत्ति का किसी भी तरह से नाश होता है। * समय पूर्व दांत और आंख की कमजोरी।
अगले पन्ने पर... यदि शनि बहुत ज्यादा खराब है तो...
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यदि शनि बहुत ज्यादा खराब है तो...
* व्यक्ति पराई स्त्री से संबंध रखकर बर्बाद हो जाता है। * व्यक्ति जुआ, सट्टा आदि खेलकर बर्बाद हो जाता है। * व्यक्ति किसी भी मुकदमे में जेल जा सकता है। * व्यक्ति की मानसिक स्थिति बिगड़ सकती है। वह पागल भी हो सकता है। * व्यक्ति अत्यधिक शराब पीने का आदी होकर मौत के करीब पहुंच जाता है। * व्यक्ति किसी भी गंभीर रोग का शिकार होकर अस्पताल में भर्ती हो सकता है। * भयानक दुर्घटना में व्यक्ति अपंग हो सकता है या मर भी सकता है।
नोट : उपरोक्त स्थिति निर्भर करती है शनि ग्रह की कुंडली में स्थिति और व्यक्ति के कर्मों अनुसार।
यदि शनि शुभ स्थिति में है, तो जानिए अगले पन्ने पर...
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शुभ की निशानी :
* शनि की स्थिति यदि शुभ है तो व्यक्ति हर क्षेत्र में प्रगति करता है। * शनि के शुभ होने पर व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता। * बाल और नाखून मजबूत होते हैं। * ऐसा व्यक्ति न्यायप्रिय होता है और समाज में मान-सम्मान खूब रहता है। * मकान और दलाली के कार्यों में सफलता मिलती है। * व्यक्ति भूमि का मालिक होता है और धन संपन्न रहता है। * यदि व्यक्ति लोहे से संबंधित कोई कार्य कर रहा है तो उसमें उसे अपार धन मिलता है।
अशुभ शनि को शुभ करने के उपाय, अगले पन्ने पर...
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शनि के उपाय :
* सर्वप्रथम शनि ग्रह के स्वामी भगवान भैरव से माफी मांगते हुए उनकी उपासना करें। * हनुमान ही शनि के दंश से बचा सकते हैं तो प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें। * शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं। * तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ और जूता दान देना चाहिए। * कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं। * छायादान करें अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापों की क्षमा मांगते हुए रख आएं। * दांत, नाक और कान सदा साफ रखें। * अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाइकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें। * कभी भी अहंकार, घमंड न करें, विनम्र बने रहें। * किसी भी देवी, देवता, गुरु आदि का अपमान न करें। * शराब पीना, जुआ खेलना, ब्याज का धंधा तुरंत बंद कर दें। * पराई स्त्री से कभी संबंध न रखें।
अगले पन्ने पर कुंडलिनी में बैठे शनि की स्थिति अनुसार सावधानी...
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शनि की सावधानी :
* यदि शनि कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न में हो तो भिखारी को तांबा या तांबे का सिक्का कभी दान न करें अन्यथा पुत्र को कष्ट होगा। * यदि शनि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला का निर्माण न कराएं। * अष्टम भाव में हो तो मकान न बनाएं, न खरीदें। * उपरोक्त उपाय भी लाल किताब के जानकार व्यक्ति से पूछकर ही करें।