कुंडली में शनि यदि इन भावों में होतो 4 तरह के दान और 16 तरह के कार्य नहीं करें, वर्ना पछताएंगे

लाल किताब के अनुसार शनि के प्रत्येक भावों में होने का प्रभाव और सावाधानियां बताई गई है। आओ जानते हैं कि शनि ग्रह के किस भाव में होने से कौनसा दान नहीं करना चाहिए या कोई कार्य नहीं करना चाहिए।
 
 
ये दान न दें : 
1. शनि लग्न में व गुरु पंचम में हो तो कभी भी ताम्बे का दान नहीं करें।
2. शनि, आठवें भाव में हो तो भोजन, वस्त्र या जूते आदि का दान न करें।
3. शनि अष्टम भाव में हो तो किसी के लिए मुफ्त आवास का निर्माण न करें।
4. शनि बलवान होने पर शनि की वस्तु शराब दूसरों को न पिलाएं।
 
ये कार्य न करें: 
1. पहले खाने में हो तो दगाबाजी और झगड़ालू प्रवृत्ति से बचें।
2. दूसरे खाने में हो तो जुआ, सट्टा, लाटरी के चक्कर में न पड़े। वैराग्य भाव न रखें।
3. तीसरे खाने में पूर्व या दक्षिण दिशा में मकान का प्रवेश द्वार न रखें। दरवाजे के पास पत्थर गढ़ा या रखा हुआ न हो। मकान के आखरी में यदि अंधेरी कोठरी हो तो उसमें रोशनी के रास्ते न निकालें।
4. चौथे खाने में पराई स्त्री के चक्कर में न रहें। रात में दूध न पिए।
5. पांचवें खाने में मकान न बनवाएं बल्कि बने-बनाए खरीद लें या परदादाओं के मकान में ही रहें। शनि के मंदे कार्य अर्थात जुआ, सट्टा, शराब, वैश्या से संपर्क और ब्याज आदि न करें।
6. छटवें खाने में मकान न बनवाएं। शराब न पिएं।
7. सातवें खाने में पराई स्त्री के मोह में न रहे।
8. आठवें खाने में शनि के मंदे कार्य अर्थात अर्थात जुआ, सट्टा, शराब, वैश्या से संपर्क और ब्याज आदि न करें।
9. नवमें खाने में दो से ज्यादा मकान न रखें। अंधेरी कोठरी में रोशनदान या रोशनी के रास्ते न बनाए।
10. दसवेंखाने में दूसरों का भला करने की न सोंचे। शराब कतई न पिए।
11. ग्यारहवें खाने में उधार न दें।
12. बारहवें खाने में मकान जैसा बन रहा है वैसा बनने दें उसमें अपनी अक्ल न लगाएं और न ही बनने से रोके। 
 
अन्य कार्य : 
13. दूसरा घर खाली हो तथा आठवें में अकेला शनि हो तो मंदिर न जाएं।
14. यदि 6, 8, 12 भाव में शत्रु ग्रह हो तथा भाव 2 खाली हो तो भी मंदिर न जाएं।
15. ब्याज लेना, पराई स्त्री से संबंध और शराब पीने से बर्बादी।
16. काका, मामा, सेवक और नौकर से संबंध खराब है तो नुकसान होगा।

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