-मीना भंडारी विदेशी भाषा से संबंधित पाठ्यक्रम मुख्यतः तीन प्रकार के हैं- प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम, डिप्लोमा पाठ्यक्रम और डिग्री पाठ्यक्रम। प्रमाणपत्र और डिग्री पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है, लेकिन ज्यादातर स्थानों पर डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए पात्रता मापदंड संबद्ध भाषा में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम है।
छात्रों को किसी भी विदेशी भाषा कोर्स में एडमिशन लेने से पूर्व सभी भाषाओं के विषय में अच्छी तरह से जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए और जो भाषाएँ वैश्वीकरण के दौर की महत्वपूर्ण भाषाएँ हैं और जो रोजगारोन्मुखी हैं उनकी ओर विद्यार्थियों को कदम बढ़ाने चाहिए।
कई बार ऐसा होता है कि छात्र-छात्राएँ भाषा पाठ्यक्रम में एडमिशन तो ले लेते हैं, लेकिन बाद में उन्हें उस संबंधित भाषा को सीखने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
विदेशी भाषा सीखना और धन कमाने के लिए उसका इस्तेमाल करना, दोनों अलग-अलग चीजें हैं। किसी विदेशी भाषा के जरिए आजीविका अर्जित करने के लिए आपको संबंधित विदेशी भाषा की पत्र-पत्रिकाएँ और पुस्तकें आदि पढ़ने के माध्यम से निरंतर भाषा प्रयोग के संपर्क में रहना होता है।
इसके अतिरिक्त संबद्ध भाषा बोलने वाले अन्य लोगों से भी संपर्क बनाए रखना होगा ताकि आप भाषा बोलने के कौशल में सुधार कर सकें और भाषा के सूक्ष्म पहलुओं को समझ सकें। इन पहलुओं की जानकारी भाषा बोलने और उसमें वार्तालाप के जरिए ही हासिल की जा सकती है। इसलिए विदेशी भाषा में कोई पाठ्यक्रम पत्राचार के माध्यम से नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे संबद्ध भाषा पर मजबूत पकड़ नहीं बन पाती है। बेहतर है कि आप नियमित पाठ्यक्रम को ही चुनें।