डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने वाला बजट

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2017 (16:41 IST)
नई दिल्ली। डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ग्रामीण इलाकों तक ब्रॉडब्रैंड कनेक्टिविटी का दायरा बढ़ाने के लिए भारत नेट के वास्ते 10 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किए जाने का दूरसंचार क्षेत्र ने स्वागत किया है।
वर्ष 2017-18 के बजट में कहा गया है कि गांवों को डिजिटल व्यवस्था से जोड़ने के उद्देश्य से अब तक भारत नेट के तहत 1 लाख 50 हजार किलोमीटर फाइबर केबल बिछाई गई है। देश की सभी ग्राम पंचायतों को फाइबर केबल नेटवर्क से जोड़ने के लिए 10 हजार करोड़ रुपए आवंटित करने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही डिजिटल लेन-देन को सुगम बनाने के लिए जल्द ही आधार आधारित भुगतान व्यवस्था शुरू की जाएगी। नाबार्ड को भी कम्प्यूटराइजेशन और तकनीकी उन्नयन के लिए 3 साल में 1,900 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। 
 
डिजिटल इंडिया के लक्ष्य की पूर्ति के उद्देश्य से डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए बजट में की गई घोषणाओं का स्वागत करते हुए हुवावेई टेलीकम्युनिकेशंस ने कहा है कि भारत नेट के लिए 10,000 करोड़ रुपए के आवंटन से पूरे देश में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा। 
 
भीम एप की सफलता और इसे प्रोत्साहन देने के संबंध में की गईं घोषणाएं, आधार कार्ड के जरिए वित्तीय लेन-देन और आधार के जरिए लेन-देन करने वालों को कर छूट देने से डिजिटल लेन-देन को और अधिक प्रोत्साहन मिलेगा। डिजिटल विलेज और डिजि गांव से ग्रामीण इलाकों में डिजिटाइजेशन का लाभ विस्तृत क्षेत्र तक पहुंचेगा। 
 
दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों के संगठन सीओएआई का कहना है कि यह बजट समाज के विभिन्न वर्गों को आर्थिक दृष्टि से सशक्त बनाएगा जिससे निश्चित रूप से कारोबार में तेजी आएगी। सीओएआई के महानिदेशक राजन एस. मैथ्यूज़ ने कहा कि दूरसंचार समूह बजट का स्वागत करता है और ऐसा संतुलित बजट पेश करने के लिए वित्तमंत्री को बधाई देता है तथा बजट में की गईं घोषणाएं आम लोगों और निजी क्षेत्र दोनों के लिए फायदेमंद हैं। देश डिजिटल क्रांति की दौर से गुजर रहा है और उद्योग जगत इसके लिए पूरी तरह से तैयार है।
 
इन कंपनियों के कर्मचारियों के हितों पर भी सरकार ने विचार किया है और जो लोग स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेना चाहेंगे उन्हें इसका लाभ दिया जाएगा। इसके अलावा जो कर्मचारी सेवा में बने रहना चाहेंगे उन्हें सरकार 3 साल तक संरक्षण देगी।
 
रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री ने कहा कि देश में फार्मास्युटिकल्स उद्योग 20 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और वस्तु एवं सेवाकर के लागू होने के बाद इस उद्योग को और बढ़ावा मिलेगा। देश में सालाना 1 लाख करोड़ रुपए का दवा व्यापार होता है और इतने ही मूल्य की दवाओं का निर्यात किया जाता है। सरकार प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तहत लोगों को 700 तरह की दवाएं और मेडिकल उपकरण बाजार मूल्य से काफी कम दर पर उपलब्ध करा रही है। (वार्ता)

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