फिच की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय स्थिति कठिन होने, वित्तीय क्षेत्र की बैलेंस शीट की कमजोरी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से वित्त वर्ष 2019-20 और 2020-21 में वृद्धि दर के घटने का जोखिम है। एजेंसी का अनुमान है कि अगले 2 वित्त वर्षों में वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहेगी।