50 हजार रुपए तक का उपहार जीएसटी से बाहर

सोमवार, 10 जुलाई 2017 (22:10 IST)
नई दिल्ली। सरकार ने कहा कि नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को दिया जाने वाला 50 हजार रुपए तक का उपहार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के परिधि से बाहर है। कारोबार को बढ़ाने हेतु दिए गए 50,000 रुपए से ज्यादा मूल्य के गैर नकद उपहारों पर जीएसटी लगेगा।
 
ऐसी चर्चा है कि कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को दिए जाने वाले उपहारों एवं अतिरिक्‍त लाभों पर जीएसटी प्रणाली के तहत कर लगेगा जबकि किसी नियोक्‍ता द्वारा अपने कर्मचारी को एक साल में दिए गए 50,000 रुपए मूल्‍य तक के उपहार जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। हालांकि कारोबार को बढ़ाने के लिए दिए गए 50,000 रुपए से ज्‍यादा मूल्‍य के गैर नकद उपहारों पर जीएसटी लगेगा।
 
सवाल यह उठता है कि उपहार की परिभाषा क्‍या है। उपहार को जीएसटी कानून में परिभाषित नहीं किया गया है। आम भाषा में, उपहार बदले में कुछ भी नकद राशि लिए बगैर दिया जाता है, यह स्‍वेच्‍छा से दिया जाता है और कभी-कभी दिया जाता है। कोई भी कर्मचारी यह नहीं कह सकता है कि उपहार लेना उसका अधिकार है। इसी तरह कोई भी कर्मचारी उपहार पाने के लिए अदालत का दरवाजा नहीं खटखटा सकता है।
 
एक अन्‍य मुद्दा अतिरिक्‍त लाभों पर लगने वाले कर से जुड़ा हुआ है। अपने रोजगार के संबंध में किसी कर्मचारी द्वारा नियोक्‍ता को दी जाने वाली सेवाएं जीएसटी (न तो वस्‍तुओं की आपूर्ति अथवा सेवाओं की आपूर्ति) के दायरे से बाहर है। 
 
इसका तात्पर्य यह है कि नियोक्‍ता और कर्मचारी के बीच हुए अनुबंधात्‍मक समझौते के तहत नियोक्‍ता की ओर से कर्मचारी को होने वाली आपूर्ति पर जीएसटी नहीं लगेगा। इसके अलावा,  जीएसटी के तहत इनपुट टैक्‍स क्रेडिट (आईटीसी) योजना के तहत किसी क्‍लब, स्‍वास्‍थ्‍य एवं फिटनेस केंद्र की सदस्‍यता के आईटीसी की अनुमति नहीं दी गई है। इसलिए यदि इस तरह की सेवाएं नियोक्‍ता द्वारा अपने सभी कर्मचारियों को मुफ्त में मुहैया कराई जाती हैं तो उन पर जीएसटी नहीं लगेगा, बशर्ते कि नियोक्‍ता द्वारा उन्‍हें खरीदते वक्‍त समुचित जीएसटी का भुगतान कर दिया गया हो। यही बात कर्मचारियों को मुफ्त में दिए जाने वाले मकान पर भी लागू होगी, जब यह मकान नियोक्‍ता और कर्मचारी के बीच हुए अनुबंध के तहत दिया गया हो और वह कर्मचारी पर आने वाली कुल लागत (सीटीसी) का हिस्‍सा हो। (वार्ता)

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