वॉशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया। वैश्विक संस्थान ने कोविड-19 महामारी की दूसरी गंभीर लहर के आर्थिक पुनरुद्धार पर पड़े असर को देखते हुए यह कदम उठाया है।
चालू वित्त वर्ष के लिए यह ताजा अनुमान अप्रैल में जताए गए 12.5 प्रतिशत जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान से कम है। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आर्थिक वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है जो अप्रैल के 6.9 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान से ज्यादा है।
मुद्राकोष ने ताजा विश्व आर्थिक परिदृश्य में कहा कि इस साल मार्च-मई के दौरान कोविड महामारी की दूसरी गंभीर लहर को देखते हुए भारत में वृद्धि की संभावना को कम किया गया है। इससे भरोसे में सुधार की गति भी धीमी पड़ने की आशंका है। भारत की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे तीव्र गिरावट के दौर से बाहर निकल रही है और 31 मार्च, 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में इसमें 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई।
आईएमएफ के अलावा कई अन्य वैश्विक और घरेलू एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाया है। पिछले महीने एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत और 2022-23 में 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। वहीं विश्वबैंक ने चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत जबकि एशियाई विकस बैंक (एडीबी) ने पिछले महीने 11 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया।
मुद्रा कोष ने कुल मिलाकर वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2021 में 6 प्रतिशत और 2022 में 4.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया है। वर्ष 2021 के लिए नया आर्थिक वृद्धि अनुमान अप्रैल 2021 के विश्व आर्थिक परिदृश्य में जताए गए अनुमान के समान है। हालांकि इसमें कुछ संशोधन किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार जारी है, लेकिन विकसित देशों और कई उभरते तथा विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के बीच अंतर बढ़ रहा है। मुद्राकोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने रिपोर्ट के साथ जारी अपने ब्लॉग पोस्ट में लिखा है कि वर्ष 2021 के लिए हमारा ताजा वैश्विक वृद्धि अनुमान पिछले परिदृश्य के समान है। लेकिन संरचना में बदलाव है।
उन्होंने कहा कि आईएमएफ का अनुमान है कि महामारी ने विकसित अर्थव्यवस्थाओं में प्रति व्यक्ति आय में महामारी पूर्व प्रवृत्तियों की तुलना में 2020-2022 की अवधि के दौरान 2.8 प्रतिशत की कमी की है। वहीं उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए (चीन को छोड़कर) सालाना प्रति व्यक्ति आय में 6.3 प्रतिशत के नुकसान का अनुमान है।
गोपीनाथ ने कहा है कि ये संशोधन महामारी के दौरान विकास में महत्वपूर्ण अंतर को दर्शाते हैं। इसकी एक प्रमुख वजह डेल्टा किस्म का फैलना है। विकसित देशों में लगभग 40 प्रतिशत आबादी को पूरी तरह से टीका लगाया गया है, वहीं उभरती अर्थव्यवस्थाओं में 11 प्रतिशत और कम आय वाले विकासशील देशों में टीकाकरण की दर बहुत कम है।
उन्होंने कहा कि अपेक्षा से अधिक तेजी से टीकाकरण और सामान्य स्थिति में लौटने के कारण कुछ मामलों में अनुमान को बढ़ाया गया है जबकि कुछ देशों में टीकाकरण की धीमी गति और विशेष रूप से भारत में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के प्रभाव को देखते हुए अनुमान को घटाया गया है।