मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में जारी पुनरुद्धार को और गति देने के लिए नीतिगत दर रेपो में और वृद्धि नहीं की और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। रेपो दर वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सोमवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एमपीसी ने अर्थव्यवस्था में जारी पुनरुद्धार को बरकरार रखने तथा उसे और गति देने के लिये आम सहमति से नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने रखने का निर्णय किया है। इससे पहले, आरबीआई मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए पिछले साल मई से लेकर कुल 6 बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है। जानिए मौद्रिक नीति की 10 खास बातें...
रिजर्व बैंक ने रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा। आम लोगों के घर, कार और अन्य प्रकार के ऋणों की किश्तों में बढोतरी नहीं होगी।
आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं, 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान।
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है।
वहीं चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मुद्रास्फीति 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है।
बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही और चालू वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा (कैड) कम रहेगा।
विभिन्न बैंकों में बिना दावे वाली जमा राशि का पता लगाने के लिए रिजर्व बैंक केंद्रीयकृत पोर्टल स्थापित करेगा।
वित्त वर्ष 2022-2023 में भारतीय रुपया व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ा। रिजर्व बैंक इसपर निगाह रखेगा।
देश में बाहर से मनीऑर्डर (रेमिटेंस) के मामले में खाड़ी सहयोग परिषद के देश प्रमुख स्रोत; 2022 में रेमिटेंस 107.2 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर।