क्या भारतीय राशन कार्ड सिस्टम घोटालों से जूझ रहा है?

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भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली सही दिशा में शुरू हुई और इसके इरादे भी नेक थे। इसने देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने का एक तरीका बनाया, जो कि पहले आम नहीं था। लोगों ने अपने फायदे के लिए सिस्टम का दुरुपयोग करना भी शुरू कर दिया। हालांकि बहुत से लोग अभी भी सिस्टम से लाभ उठा रहे हैं, जबकि अन्य लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं।
 
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में फर्जी राशन कार्ड रखने वाले लोगों की तलाश के लिए एक अभियान शुरू किया। अभियान के दौरान इस तरह के काफी संख्या में राशन कार्ड मिले और अब फर्जी राशन कार्डों को रद्द करने के कदमों पर भी विचार किया जा रहा है। 
 
कई अन्य राज्यों ने भी इस मुद्दे को हल करने के लिए एक कदम आगे बढ़कर सिस्टम को लागू करना शुरू कर दिया। असम में नकली राशन कार्ड बनाने के लिए सिस्टम का दुरुपयोग किया गया था, इसलिए कि व्यक्ति बड़ी मात्रा में सब्सिडी वाला अनाज हासिल कर सके और इसे बाजार मूल्य पर पुनर्विक्रय कर सके।
 
बोगस राशन कार्डों के खिलाफ राज्य सरकार ने वर्ष की शुरुआत में कार्रवाई करते हुए 2.66 लाख बोगस राशन कार्ड रद्द कर दिए। इसी प्रकार, देश के अन्य हिस्सों में भी बड़ी संख्‍या में अवैध राशन कार्डों को रद्द किया गया। राजस्थान की एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 2.33 करोड़ फर्जी राशन कार्ड पाए गए, जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई। 
 
गुजरात ने राशन कार्ड की प्रक्रिया को कठिन बनाने की व्यवस्था शुरू कर दी। उन्होंने फैसला किया कि वे बॉयोमैट्रिक्स के साथ काम करना चाहते हैं ताकि लोगों को कई राशन कार्ड बनाने से रोका जा सके। सिस्टम अभी भी काम कर रहा है। दूसरी ओर तमिलनाडु ने सिस्टम का उपयोग कर लोगों के लिए अब राशन कार्ड को स्मार्ट कार्ड और चिप्स में बदल दिया है। (Advertorial)
 

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