अपना घर हो : संपत्तियों को ढहाने पर देशभर के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए, 95 पन्नों के फैसले की शुरूआत न्यायमूर्ति गवई ने कवि की इन पंक्तियों से की, अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है, इंसान के दिल की ये चाहत है कि एक घर का सपना कभी ना छूटे। पीठ ने कहा, प्रसिद्ध कवि प्रदीप ने आशियाना के महत्व का वर्णन इस तरह किया है। न्यायमूर्ति गवई ने पीठ के लिए फैसला लिखा। पीठ में न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन भी शामिल हैं।
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