मालदीव पर भारत ने दिखाई सख्‍ती, निर्यात में की कटौती

Webdunia
सोमवार, 25 जून 2018 (10:01 IST)
नई दिल्ली। भारत और मालदीव के बीच इस समय कूटनीतिक खींचतान चल रही है। इस बीच भारत ने मालद्वीप पर सख्ती दिखाते हुए भारत ने मालदीव को भेजे जाने वाली जरूरी चीजों के निर्यात में कटौती की है। भारत ने आवश्यक जिंसों के प्रतिबंध रहित निर्यात की सीमा घटा दी है, जिसकी आपूर्ति हर साल इस द्वीप देश को होती है। आलू, प्याज, अंडे समेत कई अन्य खाद्य पदार्थों के निर्यात को भारत ने कम करने का फैसला किया है।
 
 
विदेशी कारोबार महानिदेशालय (डीजीएफ टी) की ओर से हाल में जारी अधिसूचना के मुताबिक द्वीपीय देश में सालाना निर्यात होने वाले चावल, प्याज, आलू और दाल की मात्रा को आधा या उससे भी ज्यादा कम कर दी गई है, जिसका निर्यात बगैर किसी सीमा के होता था। आटे का निर्यात भी घटाकर बहुत मामूली कर दिया गया है। मालदीव अपनी खाद्य जरूरतों के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर है।
 
 
हालांकि मालदीव के मीडिया में वहां के ट्रेडिंग ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक अहमद शाहीर का बयान छपा है, जिसमें उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया है कि भारत के इस कदम से खाने-पीने के सामानों में कोई कमी नहीं होगी। अब तक भारत, मालदीव की मांग पर हर जरूरी चीज़ों का निर्यात व्यापक पैमाने पर करता रहा है।
 
 
विदेशी व्यापार निदेशालय ने पिछले हफ्ते एक नोटिफिकेशन जारी किया था। सरकार के सूत्रों का कहना है कि मालदीव से व्यापार को लेकर 2018-19 के लिए नया नियम बना है। सरकार का कहना है कि यह कोई एकतरफा फैसला नहीं है।
 
 
मालदीव भारत का पुराना सहयोगी रहा है। दोनों के बीच पिछले दो साल में संबंध कटु हो गए हैं, क्योंकि द्वीपीय देश का राजनीतिक नेतृत्व इस समय चीन की ओर झुका हुआ है, जो इस समय पर्यटन और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। भारत ने 1981 में मालदीव के साथ कारोबारी समझौता किया था। कारोबार में भेदभाव न करने और मुक्त रूप से मुद्रा विनिमय जैसे सामान्य वादों के साथ समझौते में यह भी शामिल है कि भारत खाद्य निर्यात के कोटे पर फैसला करेगा और इस पर कोई सीमा नहीं होगी। इसके पीछे तर्क यह था कि घरेलू आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत पडऩे की स्थिति में भारत निर्यात मेंं कटौती कर सकता है। 
 
 
समझौते के अनुच्छेद 9 में कहा गया है, 'मालदीव सरकार आवश्यक जिंसों की सूची भारत के समक्ष प्रस्तुत करेगी, जिसकी उसे कैलेंडर साल के दौरान जरूरत हो। यह सूची नवंबर के आखिर तक प्रस्तुत की जाएगी, जिससे जरूरतों पर कार्रवाई की जा सके।' उसके बाद दिसंबर के आखिर तक भारत की ओर से उस कैलैंडर वर्ष के लिए कोटे का आवंटन किया जाएगा।
 
 
समझौते के मुताबिक यह मालदीव सरकार की जरूरतों और आपूर्ति के लिए उपलब्धता पर निर्भर होगा। यही अहम बात है, जिसे लेकर वाणिज्य विभाक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मालदीव ने नई दिल्ली के साथ हाल में हुई चर्चा में ज्यादा कोटे की मांग नहीं की है। भारत का मालदीव को कुल निर्यात 2017-18 में 21.7 करोड़ डॉलर रहा है, जो इसके पहले साल 19.7 करोड़ डॉलर रहा था।  आधिकारिक आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि पिछले 2 साल में आवंटित कोटा स्थिर रहा है। आलू का निर्यात 5589 टन रहा, जबकि प्याज और चावल का निर्यात क्रमश 10,271 और 23,361 टन रहा है। (एजेंसी)
 
 

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