नई दिल्ली। मोदी सरकार ने चुकता पूंजी और कारोबार सीमा में संशोधन करते हुए छोटी कंपनी की परिभाषा बदल दी है। इससे अब और कंपनियां इसके दायरे में आ सकेंगी और उनका अनुपालन बोझ कम हो जाएगा।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कारोबार करने में सुगमता को और बढ़ावा देने के उद्देश्य से छोटी कंपनियों की परिभाषा में फिर से बदलाव किया है। कुछ नियमों में संशोधन करते हुए छोटी कंपनियों के लिए चुकता पूंजी की सीमा को मौजूदा 2 करोड़ रुपए से अधिक नहीं से बढ़ाकर 4 करोड़ रुपए से अधिक नहीं कर दिया गया। तथा कारोबार को 20 करोड़ रुपए से अधिक नहीं से बदलकर 40 करोड़ रुपए से अधिक नहीं कर दिया गया है।
मंत्रालय के मुताबिक छोटी कंपनियों को वित्तीय लेखा-जोखा के अंग के रूप में नकदी प्रवाह का लेखा-जोखा तैयार करने की जरूरत नहीं होती है। उन्हें लेखा परीक्षक के अनिवार्य रोटेशन की जरूरत भी नहीं होती है।
छोटी कंपनी श्रेणी की इकाइयों को मिलने वाले अन्य लाभ यह हैं कि कंपनी के वार्षिक रिटर्न पर कंपनी सेक्रटेरी हस्ताक्षर कर सकता है या कंपनी सेक्रेटरी के न होने पर कंपनी का निदेशक हस्ताक्षर कर सकता है। इसके अलावा छोटी कंपनियों के लिए जुर्माना राशि भी कम होती है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं। इनमें कंपनी अधिनियम, 2013 और सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के विभिन्न प्रावधानों को अपराध के वर्ग से निकालना शामिल हैं।