राजन ने बताया है कि बैंकों ने जोंबी लोन को एनपीए में बदलने से बचाने के लिए ज्यादा लोन दिए। 2006 से पहले बुनियादी क्षेत्र में पैसा लगाना फायदेमंद था। इस दौरान एसबीआई कैप्स और आईडीबीआई बैंकों ने खुले हाथ से कर्ज दिए। बैंकों का अतिआशावादी होना घातक साबित हुआ। लोन देने में सावधानी नहीं रखी गई। इसके साथ ही जितने लाभ की उम्मीद की गई थी, उतना लाभ नहीं हुआ.
राजन के बयान से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, दरअसल कांग्रेस लगातार मोदी सराकर को बढ़े एनपीए के लिए जिम्मेदार बताती रही है। राजन की नियुक्ति यूपीए सरकार में ही हुई थी ऐसे में बीजेपी कांग्रेस पर हमले का मौका नहीं गंवाएगी।
जुलाई में समिति के सामने पेश हुए पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने एनपीए संकट से निपटने के लिए पूर्व आरबीआई गवर्नर राजन की तारीफ की थी। सुब्रमण्यम के बयान के बाद ही कमेटी ने राजन को समिति इस विषय में पूरा ब्यौरा देने को कहा था। 2013 से 2016 रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे रघुराम राजन इस वक्त शिकागो यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं।